ज़रा सी बात पे इतना नहीं ख़फा होते हमेशा बात से मसले रफा-दफा होते इबादतों के बिना तो खुदा नहीं मिलता बिना रसूख के कोई सखा नहीं होते जो दूसरों के घरों पर उछालते पत्थर कभी भी उनके सलामत मकां नहीं होते फ़लक के साथ जमीं पर भी ध्यान देते तो वफा की राह में काँटे न बेवफा होते अगर न “रूप” दिखाते डरावना अपना तो दौरे-इश्क में दोनों ही बावफा होते |
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गुरुवार, 9 जून 2011
"ग़ज़ल- इतना नहीं ख़फा होते" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बहुत सुंदर गज़ल शास्त्री जी...
जवाब देंहटाएंहर शेर पर वाह निकला...
आभार...
सादर
गीता पंडित
khoobsurat gazal...
जवाब देंहटाएंजो दूसरों के घरों पर उछालते पत्थर
जवाब देंहटाएंकभी भी उनके सलामत मकां नहीं होते
SAARTHK aur khubsoorat gajal.badhaai sweekaren.
बहुत बढ़िया लिखा है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
bahut hee khoobsurat dil ko chhoo lene wali rachna likhi hai guru ji...!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूब।
जवाब देंहटाएंरख सकते गर धीरज , दो रोज के लिए
जवाब देंहटाएंजीवन में असफल , नहीं इस दफा होते |
विश्वास न मिटता अगर, बीच में अपना
सारे जहाँ से अपने , दुश्मन सफा होते |
आदरणीय शास्त्री जी :
नया ब्लागर हूँ--
कृपया गजल की कुछ बारीकियां बताने का कष्ट करें|
मेरी पंक्तियों का तारतम्य अक्सर बिगढ़ जाता है |
bahut sarthak bhavabhivayakti .aabhar
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है दादा
जवाब देंहटाएंएहसास जगाती ये गज़ल...
जवाब देंहटाएंमेरी पसंद का शेर..
जो दूसरों के घरों पर उछालते पत्थर
कभी भी उनके सलामत मकां नहीं होते
शुभकामनाएँ!
बहुत सुंदर गज़ल....आभार...
जवाब देंहटाएंati uttam
जवाब देंहटाएंहर शे’र उम्दा..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल ..
जवाब देंहटाएंजो दूसरों के घरों पर उछालते पत्थर
जवाब देंहटाएंकभी भी उनके सलामत मकां नहीं होते..
लाजवाब और सटीक पंक्तियाँ! ख़ूबसूरत ग़ज़ल!
फ़लक के साथ जमीं पर भी ध्यान देते तो
जवाब देंहटाएंवफा की राह में काँटे न बेवफा होते...
Very inspiring creation Shastri ji .
.
ज़रा सी बात पे इतना नहीं ख़फा होते
जवाब देंहटाएंहमेशा बात से मसले रफा-दफा होते
कई संगीन मसले बातो से रफा -दफा होते देखे है शास्त्री जी ...बहुत सुंदर ...लाजबाब ...
बहुत सुंदर गज़ल....आभार...
जवाब देंहटाएंफ़लक के साथ जमीं पर भी ध्यान देते तो
जवाब देंहटाएंवफा की राह में काँटे न बेवफा होते
वाह वाह बहुत सुन्दर गज़ल्।
har sher bahut wajandaar, waah bahut khoob, daad kubool karen Roopchandra ji.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !हमेशा की तरह शिखर पर अश -आर आपके .
जवाब देंहटाएंवाह-वाह...
जवाब देंहटाएंसुंदर गज़ल शास्त्री जी... हर शेर पर वाह निकला...
जवाब देंहटाएं