जिसकी माटी में चहका हुआ है सुमन, मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन। जिसकी घाटी में महका हुआ है पवन, मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन। जिसके उत्तर में अविचल हिमालय खड़ा, और दक्षिण में फैला है सागर बड़ा. नीर से सींचती गंगा-यमुना चमन। मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।। वेद, कुरआन-बाइबिल का पैगाम है, ज़िन्दगी प्यार का दूसरा नाम है, कामना है यही हो जगत में अमन। मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।। सिंह के दाँत गिनता, यहाँ पर भरत, धन्य आजाद हैं और विस्मिल-भगत, प्राण देकर जिन्होंने किया था हवन। मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।। यह धरा देवताओं की जननी रही, धर्मनिरपेक्ष दुनिया में है ये मही, ऐ वतन तुझको करता हूँ सौ-सौ नमन। मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।। |
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शुक्रवार, 17 जून 2011
"अपना वतन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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देश प्रेम से ओट - प्रोत रचना
जवाब देंहटाएंसिंह के दाँत गिनता, यहाँ पर भरत,
जवाब देंहटाएंधन्य आजाद हैं और विस्मिल-भगत,
बहुत सुन्दर ||
vaah kyaa ahsaas hai apne vtan ka schcha ahsaas hai apne vatan ka ..akhtr khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम से ओत-प्रोत बहुत सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना है आज भी आज़ादी की याद आपके के दिल मे है.
जवाब देंहटाएंहर वर्ष लगेगे आज़ादी की चिता पेर मेले, बाकी मरने वालो का यही निशा होगा.
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्रीजी एक बार फिर मुझे कुछ ऐसा पढने को मिला जो हमेशा याद रहेगा. सराहनीय
जवाब देंहटाएंआदरणीये गुरु जी, एक बार फिर अपने आज़ादी के बिंदु को मिला दिया, जिस प्रकार मोती की माला टूट जाती है फिर जॉइंट कर दी जाती है वाह किया बात है
जवाब देंहटाएंआदरणीये गुरु जी,जैसे हमारा देश महान, वैसे गुरुजी है आपका कमाल. किया लिखते है आप .
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत है.
जवाब देंहटाएंअर्चना चावजी अगर इसे अपनी आवाज दे दे तो बहुत अछ्छा लगेगा सुन कर.
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा.
जवाब देंहटाएंसुन्दर अपना प्यारा देश।
जवाब देंहटाएंजिस दिल में देश प्रेम नहीं वो दिल ही क्या....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना....
भरत देश है हमारा और हमें अपना देश है सबसे प्यारा! बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना!
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम से ओट - प्रोत रचना|
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम की भावनाओं से ओतप्रोत बहुत सुन्दर रचना..आभार
जवाब देंहटाएंआपके देश -प्रेम को नमन ,रचना भारत -मयी हो चली ....बोधगम्य रचना ./ शुक्रिया जी /
जवाब देंहटाएंदेश प्रेम से ओत-प्रोत सुन्दर रचना है.
जवाब देंहटाएंवाह वाह के सिवा नहीं कुछ भी कहना है.
देश प्रेम की बेहतरीन कविता...मेरा भारत महान का सन्देश देती हुई...कभी लगता है...हमारे बुजुर्गों ने घी खाया था...और हम अभी तक हाथ सुंघा रहे हैं...महान लोगों के देश की ये परिणति अनेक प्रश्न-चिन्ह खड़े करती है...
जवाब देंहटाएंराष्ट्र प्रेम का सजीव फिल्मांकन साबित हुई शाष्त्री जी की पोस्ट .आभार ,शब्द -चित्र जुगल बंदी के लिए शब्द -दर -शब्द .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना सर! राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत। बधाई
जवाब देंहटाएंऐ वतन तुझको करता हूँ सौ-सौ नमन।
जवाब देंहटाएंमुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।।\ बहुत सु8न्दर। हमारा भी शत शत नमन है। जय हिन्द।
देश प्रेम से गुलज़ार यह शब्द रचना अनुपम ।
जवाब देंहटाएंसिंह के दाँत गिनता, यहाँ पर भरत,
जवाब देंहटाएंधन्य आजाद हैं और विस्मिल-भगत,
प्राण देकर जिन्होंने किया था हवन।
मुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।।
देश भक्ति से ओत-प्रोत बहुत ही सुन्दर रचना।
आपके देश -प्रेम को नमन
जवाब देंहटाएंमुझको प्राणों से प्यारा है अपना वतन।।
जवाब देंहटाएं