झुक गईं शाखाएँ स्वागत में तुम्हारे। आ गई वर्षा हमारे आज द्वारे।। बुझ गई प्यासी धरा की है पिपासा, छँट गई व्याकुल हृदय से अब निराशा, एक अरसे बाद आयी हैं फुहारे। आ गई वर्षा हमारे आज द्वारे।। धान के पौधों को जीवन मिल गया है, धूप से झुलसा चमन अब खिल गया है, पर्वतों पर गा रहे हैं गान धारे। आ गई वर्षा हमारे आज द्वारे।। पंचमी पर नाग-पूजा रंग लाई, आसमानों में घटा घनघोर छाई, बह रही पुरवाई की शीतल बयारे। आ गई वर्षा हमारे आज द्वारे।। |
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रविवार, 10 जुलाई 2011
‘‘आ गई वर्षा’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत खूब ... आभार !
जवाब देंहटाएंAapke geet se to varsha ritu bhi ithla rahi hogi.uske pyar me itna sunder geet jo likha hai.badhaai.
जवाब देंहटाएंdr. saahb bhtrin ..akhtar khan akela kota rajstan
जवाब देंहटाएंवर्षा सुन्दर काव्य को और निखार देती है ||
जवाब देंहटाएंमन को सुकून देने वाली सुन्दर रचना ||
बहुत-बहुत बधाई ||
कम से कम
रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक
जाना चाहिए इस रचना को ||
तृप्त नहीं हुई आत्मा --
जवाब देंहटाएंचार पंक्तिया और ||
शास्त्री जी !!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही मनभावन रिमझिम करती मन को शीतल करती बरखा बहार सी शीतल रचना....कोटि कोटि शुभकामनाएं !!!
बरसात की तरह ही आनंद देती कविता।
जवाब देंहटाएं------
TOP HINDI BLOGS !
एक और रितुगीत.... बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंvarsha ritu hai hi aisee kavi man bahut kuchh likhne ko vivash ho hi jata hai.bahut sundar abhivyakti shastri ji.badhai.
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बहुत सुन्दर||
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
नाग पंचमी के आगमन की सूचना देती मधुर कविता !
जवाब देंहटाएं"पर्वतों पर गा रहे हैं गान धारे"
जवाब देंहटाएंवाह शास्त्री जी
बहुत ख़ूबसूरत और मधुर कविता! बधाई!
जवाब देंहटाएंभाव अच्छे हैं पर शास्त्री जी, इसमें “रूपचन्द” वाला स्पेशल इफ़ेक्ट नहीं है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता...
जवाब देंहटाएंman ko aahladit karti rachna .aabhar
जवाब देंहटाएंबरसात की तरह ही आनंद देती कविता ............
जवाब देंहटाएंअब तो यहाँ भी आ ही गयी वर्षा ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
बहुत सुन्दर गीत है.
जवाब देंहटाएंवर्षा पर सुन्दर गीत ..
जवाब देंहटाएंwah wah wah....
जवाब देंहटाएंpichhle varsh jo aapne chitr share kiye thay, unki yaad aa gayee....
varsha par bahut sundar likha hai aapne.....abhar
जवाब देंहटाएंdr.saheb varsha aa gayi hai to thodi si rajasthan bhej do 48-49 c garami hai thanx
जवाब देंहटाएंस्वागत वर्षा का।
जवाब देंहटाएंजैसे बरखा धरती की आत्मा तृप्त करती है ... आपकी रचना दिल को तृप्त करती है ...
जवाब देंहटाएं