आम पेड़ पर लटक रहे हैं। पक जाने पर टपक रहे हैं।। हरे वही हैं जो कच्चे हैं। जो पीले हैं वो पक्के हैं।। इनमें था जो सबसे तगड़ा। उसे हाथ में मैंने पकड़ा।। अपनी बगिया गदराई है। आमों की बहार आई है।। मीठे होते आम डाल के। बासी होते आम पाल के।। प्राची खुश होकर के बोली। बाबा इनसे भर लो झोली।। चूस रहे खुश होकर बच्चे। आम डाल के लगते अच्छे।। |
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सोमवार, 4 जुलाई 2011
"आम डाल के लगते अच्छे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आदरणीय शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
अपनी बगिया गदराई है।
आमों की बहार आई है।।
.............बहुत खूब, लाजबाब !
करीब 20 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
सुंदर कविता.... बच्चों बड़ों सबको भाते हैं आम
जवाब देंहटाएंबहुत मस्त ये पके आम हैं.
जवाब देंहटाएंदिल्ली में तो बड़े दाम हैं !
bahut achchi baal kavita aur aamon ki tasveeren dekh kar to muh me paani aa gaya.bahut achchi prastuti.
जवाब देंहटाएंआह मुंह में पानी आ गया .
जवाब देंहटाएंsundar kavita ..kintu ab aam khaane aana padega ..prachi ke saath ... Bagicha bahut sundar jaise kavita
जवाब देंहटाएंलगता हैं सुबह ही तोड़े गए हैं ...? अचार देख कर मुंह मैं पानी आ गया ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar chitron se saji sarthak rasili swadisht post.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....लालच आ गया.
जवाब देंहटाएंसुबह सुबह आम का सोंधापन याद दिला दिया आपने।
जवाब देंहटाएंदेखना नहीं ........खाना है...........भेजिये...
जवाब देंहटाएंkhoobsurat kavita... aam ko khas bana diya aapne...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
वाह अच्छा विवरण |
जवाब देंहटाएंआभार ||
चोपी से बच के तुम रहना |
भैया से बोली यह बहना -
चोपी जो लग गई त्वचा में,
जले त्वचा, फिर मत कहना ||
इतने आम देख कर तो मुँह मे पानी आ गया। सुन्दर रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंकुछ कमेंट गूगल बज़ से-
जवाब देंहटाएं--
indu puri goswami - आमों को खाने से ज्यादा मुझे उन्हें पेड़ों पर लटकते हुए देखना बहुत पसंद है.पके अध् पके आमों के फोटो ने तो...........हा हा हा नजर नही हटती. थू-थू4-7 (10:43 पूर्वाह्न को संपादित)
updesh Saxena - इंदु जी स्वाद के साथ थू-थू क्यों?4-7
Dr. Danda Lakhnavi - very nice4-7
indu puri goswami - @उपदेश जी हमारे यहाँ नजर ना लगे इसके लिए 'थू थू' बोला जाता है और उस व्यक्ति,वास्तु पर दूर से थूक के तनिक छींटे मारे जाते हैं जिससे वो बुरी नजर से बचा रहे.हा हा हा10:43 पूर्वाह्न
atul kast - jai shree krsihan.
nazar na lage mere ambuwa par.
सुन्दर मीठे रसीले आम
जवाब देंहटाएंखाने को मन करे सुबह शाम
बहुत ख़ूबसूरत रचना !
lagtaa hai aapne bhee aam churaaye hain guru jee....
जवाब देंहटाएंdr.saheb aamon se bhi meethirachana lagi
जवाब देंहटाएंआम खाने का असली मजा आम की छाँव में ही आता है.अति सुंदर बाल-गीत.
जवाब देंहटाएंबच्चों को आम चूसते देख कर लालच आ गया...देसी आम भी अब रेयर कमोडिटी बन गये हैं...
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