सुहाते ही नहीं जिनको मुहब्बत के तराने हैं हमारे मुल्क में ऐसे अभी बाकी घराने हैं जिन्हें भाते नहीं हैं, फूल इस सुन्दर बगीचे के ज़हन में आज भी ख्यालात उनके तो पुराने हैं नई दुनिया-नई नस्लें, नई खेती-नई फसलें, मगर उनको तो अब भी, ढोर ही जाकर चराने हैं नहीं है अब ज़माना, शान से शासन चलाने का, नहीं है प्यार गर दिल में, तो अपने भी बिराने हैं फिज़ाओं ने बहुत तेजी से अपना “रूप” बदला है, मुहब्बत के लिए ही आज कुछ लम्हें चुराने हैं |
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शनिवार, 23 जुलाई 2011
"ग़ज़ल-...आज कुछ लम्हें चुराने हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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khubsurat gazal....
जवाब देंहटाएंप्रेम बिछा हो हर राहों में।
जवाब देंहटाएंचोरी करे ढोल पीटकर वाह जी! चोर हो तो ऐसा...बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंसुंदर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल .
जवाब देंहटाएंमनमोहक ,बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल.....वाह!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत गज़ल..आभार
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhavmai gajal/dil ko choo gai.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव अच्छी रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
shaandaar
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhavon ko abhivyakt kiya hai aapne .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत .. उम्दा... आप बहुत ही सुन्दर लिखते है.. शानदार
जवाब देंहटाएंशानदार गजल। एक एक शेर दिल में उतरता हुआ।
जवाब देंहटाएंक्या बात है शास्त्री जी... वाह. आखिरी पंक्तियों ने गजब कर दिया..
जवाब देंहटाएंसुंदर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंसुंदर ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंsunder gazal....
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत और मनमोहक ग़ज़ल! बधाई!
जवाब देंहटाएंdr.rupchandar ji aapaki ye rachana pasand aayi .esi chori to sabhi ko karani chahiye .esi se desh va jahan ka bhala hoga.
जवाब देंहटाएंdr.saheb namasakar,bahut hi dil ko chhoo lenewali aaj ke anuroop rachana
जवाब देंहटाएंनई दुनिया-नई नस्लें, नई खेती-नई फसलें,
जवाब देंहटाएंमगर उनको तो अब भी, ढोर ही जाकर चराने हैं
क्या बात है शास्त्री जी... वाह.सुंदर ग़ज़ल
सही है नस्ले नयी फ़सले नयी पर नेता वही पुराने हैं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गज़ल्।
जवाब देंहटाएंaddbhut bahut behtreen ghazal.antim pankti ne to poora saar hi spasht kar diya.
जवाब देंहटाएंफिज़ाओं ने बहुत तेजी से अपना “रूप” बदला है,
जवाब देंहटाएंमुहब्बत के लिए ही आज कुछ लम्हें चुराने हैंफिज़ाओं ने बहुत तेजी से अपना “रूप” बदला है,
मुहब्बत के लिए ही आज कुछ लम्हें चुराने हैं
waah waah waah...!
bahut sundar tarane hai
जवाब देंहटाएंkhubsurat gazal....
जवाब देंहटाएंनई दुनिया-नई नस्लें, नई खेती-नई फसलें,
जवाब देंहटाएंमगर उनको तो अब भी, ढोर ही जाकर चराने हैं
नहीं है अब ज़माना, शान से शासन चलाने का,
नहीं है प्यार गर दिल में, तो अपने भी बिराने हैं
निशब्द कर देने वाली पंक्तियाँ ............बहुत खूब