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गुरुवार, 21 जुलाई 2011
"ग़ज़ल...क्यों हार की बातें करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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जवाब देंहटाएंwaise bhee INDIA ENGLAND ki aaj test match series shuru hone wali hai....to lets be positive and kyon haar ki baatein karein!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन, उम्दा, बहुत खूब, वाह-वाह...
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएं"हम सदा सुर ताल, मृदु झंकार की बातें करें"
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत प्यारी ग़ज़ल सर,
सादर...
वाह! वाह! बहुत सुन्दर शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया गजल पढकर आपकी.
"रूप" कब तक साथ देगा, नगमग़ी बाज़ार में,
जवाब देंहटाएंसाथ में मिल-बैठकर, परिवार की बातें करें
बहुत खूब .....
bahut badiyaa gajal shastriji.bahut sunder shabdon ka chayan.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएं"रूप" कब तक साथ देगा, नगमग़ी बाज़ार में,
जवाब देंहटाएंसाथ में मिल-बैठकर, परिवार की बातें करें
हर एक पंक्ति सारगर्भित और हृदय-स्पर्शी.
बढ़िया ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंvaah vaah baarish ke mausam me baat pyar ki hi ho
जवाब देंहटाएंbahut pyaari ghazal hai yeh to.aur kya kahun..bas vaah ..vaah.
जवाब देंहटाएंअरे वाह! त्योहार? उपहार...बहुत ख़ूब...बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव समन्वय्।
जवाब देंहटाएंरंग मौसम ने भरे हैं, आ गया ऋतुराज है,
जवाब देंहटाएंरंज-ओ-ग़म को छोड़कर, त्यौहार की बातें करें..
वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! आपकी इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पढ़कर मन ख़ुशी से भर गया!
प्रीत है इक आग, इसमें ताप जीवन भर रहे,
जवाब देंहटाएंहम सदा सुर-ताल, मृदु झंकार की बातें करें
शास्त्री जी बिल्कुल हर समय की यही मांग होनी चाहिए। उच्चारण भी और आचरण भी।
सादगी के साथ हम, श्रृंगार की बातें करें
जवाब देंहटाएंजीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें.
सकारात्मक सोच जगाती बेहतरीन कविता.
bahut khub sir....
जवाब देंहटाएंमीठी मीठी बातें बतियाती अनुभव सिक्त प्यारी सी ग़ज़ल| 'परिवार की बातें करें' वाले मिसरे ने तो दिल जीत लिया|
जवाब देंहटाएंbahut sundar sandesh preshit karti rachna .aabhar
जवाब देंहटाएंसाथ में मिल-बैठकर, परिवार की बातें करें
जवाब देंहटाएंdr saheb esi baat ki to aajakal kami hai.elecroni itam ne paas baithe ki doori badha di,door baithe ki ghata di .sadhuwad samayik rachana ke liye
बहुत खूबसूरत भावों को समेटे हुए रचना ... ऐसा लग रहा है कि इसे पहले भी पढ़ चुकी हूँ ..
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