हँसी-खुशी से आये हो, नाराज नहीं होकर जाना जीवन के अनुरक्त तरानों को, खुश हो करके गाना मंजिल को यदि पाना है तो, चलते ही रहना होगा मत होना निराश, पथ की बाधाओं से मत घबराना चलने का है का नाम ज़िन्दगी, रुकना मौत कहाता है बहती नदियों जैसा जीवन ही तुमको है अपनाना बुरे-भले को बहती धारा ही तो निर्मल करती है दुर्गन्धों को अपने संसर्गों में लाकर महकाना “रूप” और मालिन्य हटाकर अपने रँग में रँग देना जीवन का सन्देश तुम्हें है सारे जग को सिखलाना |
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रविवार, 24 जुलाई 2011
"नाराज नहीं होकर जाना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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khoobsoorat chitran ke saath manmohak panktiyaan!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संदेश देती कविता।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सन्देश ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
आपने दिल खुश कर दिया
जवाब देंहटाएंचमन मे फ़िर फ़ूल महक रहे हैं
परिंदे डालियो मे फ़िर चहक रहे हैं
संदेश हवाओं मे रहा है तैर
जीवन भर का साथ छुड़ा सकता है
पल भर का बैर
कि भैय्या आल इज वेल
सुन्दर शिक्षा देती ग़ज़ल सर....
जवाब देंहटाएंसादर....
sunder gazal....
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार लाजवाब गज़ल .... एक-एक शे’र लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल नाराज नहीं है।
जवाब देंहटाएंsunder rachna ...
जवाब देंहटाएंsarthak sandesh....
sunder bhav...
जवाब देंहटाएंbahut khoob babu ji...abhar...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंbahut sundar..prerna dene vali rachna...
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संदेश...
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक प्रस्तुति....आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर सन्देश के लिए बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंsundar sandesh ....
जवाब देंहटाएंBAHUT HI ACHHA SANDESH BADHAYI
जवाब देंहटाएंचलने का है का नाम ज़िन्दगी, रुकना मौत कहाता है
जवाब देंहटाएंबहती नदियों जैसा जीवन ही तुमको है अपनाना
जो गति है, तो जीवन है।
बहुत अच्छी रचना।
अच्छा सन्देश दिया आपने ...मन से मेल धो देना ही न्याय संगत है ..
जवाब देंहटाएंbeautiful ...
जवाब देंहटाएंचलने का है का नाम ज़िन्दगी, रुकना मौत कहाता है
जवाब देंहटाएंबहती नदियों जैसा जीवन ही तुमको है अपनाना
जीवन पथ पर आगे बढने की प्रेरणा देती सुन्दर रचना। बधाई।
सुन्दर शिक्षा देती ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंBeautiful creation with a wonderful message in it.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सन्देश ||
जवाब देंहटाएंलिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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UMDA GAJAL SIR,
जवाब देंहटाएंek khubsurat gazal....bahut khub
जवाब देंहटाएंsandesh deti sunder gazal....
जवाब देंहटाएंबुरे-भले को बहती धारा ही तो निर्मल करती है
जवाब देंहटाएंदुर्गन्धों को अपने संसर्गों में लाकर महकाना
क्या पते की बात कही है सर अपने / अंतर्मन को छूते,
काव्य सृजन ... प्रेरणा के प्रवाह से लगते हैं ../ शुक्रिया जी /
सुंदर सन्देश!
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