अब हरियाली तीज आ रही, मम्मी मैं झूलूँगी झूला। देख फुहारों को बारिश की, मेरा मन खुशियों से फूला।। कई पुरानी भद्दी साड़ी, बहुत आपके पास पड़ी हैं। इतने दिन से इन पर ही तो, मम्मी मेरी नजर गड़ी हैं।। |
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सुन्दर बाल गीत.. बहुत कोमल !
जवाब देंहटाएंWAAH, KITNA SUNDER BAL GEET HAI , MAN KOHERSHA GAYA
जवाब देंहटाएंKOMAL BHAONAO KE SAATH KOMAL GEET PRAVAH...........
samayik jhuledar rachana sadhuwad
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
बहुत सुन्दर और प्यारी तस्वीर! कोमल और मीठी कविता!
जवाब देंहटाएंधीरे-धीरे लोप होती जा रही हैं ये बाल सुलभ इच्छाएं और क्रीड़ायें
जवाब देंहटाएंvaah .......alag andaz ka bahut hi sundar baal geet hai.
जवाब देंहटाएंकोई लौटा दे मेरे बीते हुये - झूला झूलने वाले खेल खेल मे लड़ने मिलने वाले
जवाब देंहटाएंsunder geet....
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder bal geet .........
जवाब देंहटाएंbadhiyaa hai.,...jhoola jhoolna chahiye!!
जवाब देंहटाएंsunder geet....
जवाब देंहटाएंबच्ची ने पुरानी साड़ी का सदुपयोग सिखा दिया...
जवाब देंहटाएंसुखद सावन ,मन -भावन सावन ,सुन्दर रचना सामयिक प्रसंग , शुक्रिया सर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बाल गीत|
जवाब देंहटाएंबाल मन को बहुत अच्छे से समझते हैं आप शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंsulbh baal- geet...bahut khub !
जवाब देंहटाएंबाल कविता में बच्चों को आसानी से ग्राह्य भाषा का प्रयोग बड़े सलीके से आप करते हैं.ये बहुत बड़ी खूबी है.
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंkomal bhav.....waha
बड़ा प्यारा सा बाल गीत है यह।
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