मामी जी को साथ लिए। इतने सुन्दर वस्त्र आपको, किसने हैं उपहार किये।। हमको ये आभास हो रहा, शादी आज बनाओगे। मामी जी के साथ, कहीं उपवन में मौज मनाओगे।। दो बच्चे होते हैं अच्छे, रीत यही अपनाना तुम। महँगाई की मार बहुत है, मत परिवार बढ़ाना तुम। चना-चबेना खाकर, अपनी गुजर-बसर कर लेना तुम। अपने दिल में प्यारे मामा, धीरजता धर लेना तुम।। छीन-झपट, चोरी-जारी से, सदा बचाना अपने को। माल पराया पा करके, मत रामनाम को जपना तुम।। कभी इलैक्शन मत लड़ना, संसद में मारा-मारी है। वहाँ तुम्हारे कितने भाई, बैठे भारी-भारी हैं।। हनूमान के वंशज हो तुम, ध्यान तुम्हारा हम धरते। सुखी रहो मामा-मामी तुम, यही कामना हम करते।। |
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मंगलवार, 10 जुलाई 2012
"मत परिवार बढ़ाना तुम" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बचपन की पुस्तकें याद आ गयी...:):)
जवाब देंहटाएंबहुत अछे....:):)
वाह वाह..
जवाब देंहटाएंसभी के लिए अच्छी सीख..!!
जवाब देंहटाएं:)
वाह वाह सुन्दर सीख देती सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंapki kavitayen to laajawab hoti hain....lekin aaj ye picture...isne to kamaal kar diya....kahan kahan se dhoondh laate hain ? :-)
जवाब देंहटाएंसंसद में तो बहुत, बडे बड़े है गामा,
जवाब देंहटाएंMP में मुख्य मंत्री है,शिवराज मामा,,,,,,,
लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंvery nice Sir.
जवाब देंहटाएंसुन्दर है यह वानर प्रीत ,वानर गीत ,अच्छी रीत ,सबसे प्रीत
जवाब देंहटाएंHum Do, Hamare Do
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