योगिराज के नाम का, सब करते गुणगान। कलियुग में आओ प्रभो, करने को कल्याण।१। कुरीतियों के जाल में, जकड़े लोग तमाम। खोलो ज्ञानकपाट को, मेधा से लो काम।२। हर घर में बैठे हुए, कितने नीम-हकीम। जहर घोलते जगत में, मीठे-कड़ुए नीम।३। परिवर्तन ही ज़िन्दगी, आयेंगे बदलाव। अनुभव के पश्चात ही, आता है ठहराव।४। बारिश और गुलाब का, सुन्दर है संयोग। वर्षा के आनन्द को, लोग रहे हैं भोग।५। सहने को सन्ताप को, जनता है मजबूर। महँगाई कर दिया, उसको सुख से दूर।६। नुक्कड़ की हर गली में, पत्रकार की धूम। उल्लू सीधा कर रहे, चरण-धूलि को चूम।७। चल मनवा उस देश को, जहाँ नहीं हों काम। चैन-अमन के साथ में, मन पाये विश्राम।८। खास आदमी पूछता, आम आदमी कौन। खास-खास-को पूछते, आम हो गया गौण।९। खाम-खयाली में नहीं, रहना यहाँ ज़नाब। काम बिना कोई यहाँ, बनता नहीं नवाब।१०। मधु के लालच में कभी, धोखा भी हो जात। सोच-समझकर प्यार से, छत्ते में दो हाथ।११। भिन्न-भिन्न हैं मान्यता, मिन्न-भिन्न परिवेश। गुलदस्ता सा लग रहा, अपना भारत देश।१२। माँ सबको प्यारी लगे, ममता का पर्याय। माँ के शुभ-आशीष से, सब सम्भव हो जाय।१३। चाँद चमकती है तभी, जब यौवन ढल जाय। पीले पत्तों में नहीं, हरियाली आ पाय।१४। सहता है अपमान को, धरती के भगवान। फिर भी अन्न उगा रहा, सबके लिए किसान।१५। जिस घर में मिलता सदा, नारी को सम्मान। वो घर मन्दिर सा लगे, मानो स्वर्ग समान।१६। भोलीचिड़िया बाज को, समझ रहीं है मीत। रक्षक ही भक्षक बनें, कैसी है ये रीत।१७। चपला चमके व्योम में, बादल करते शोर। रिमझिम पानी बरसता, मन में उठे हिलोर।१८। नेताओं की बात पर, करना मत विश्वास। वाह-वाही के वास्ते, चमचे सबके पास।१९। जो चमचे स्टील के, वो हैं धवल सफेद। उनकी तो हर बात में, भरे हुए हैं भेद।२०। |
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शुक्रवार, 13 जुलाई 2012
"विविध दोहावली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे |
जवाब देंहटाएंयह तो दोहों की अनन्त यात्रा है-
चलती रहे चलती रहे |
आभार गुरुवर ||
दोहों की बरसात में भीग गए हम तो वाह लाजबाब दोहे हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंहर दोहा गज़ब की अदायगी लिये है ………शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर दोहावली !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
बढ़िया दोहे रच रहे, क्या है उसका राज
जवाब देंहटाएंकमेंट्स कर पोस्ट बनाया,एक पंथ दो काज,,,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
बहूत बढीया दोहे
जवाब देंहटाएंबहूत सुंदर:-)
हर घर में बैठे हुए, कितने नीम-हकीम।
जवाब देंहटाएंजहर घोलते जगत में, मीठे-कड़ुए नीम।३।
खाम-खयाली में नहीं, रहना यहाँ ज़नाब।
काम बिना कोई यहाँ, बनता नहीं नवाब।१०।
भ्रष्टाचार और भारत का कितना सुन्दर योग ,
दिन में कर लो आरती ,रात लगाओ भोग .
चोग भोग संजोग .
..........
शान्दार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनीकी ब्लाग---- फेसबुक टाईमलाईन अपनाये
अति सुन्दर दोहे..
जवाब देंहटाएंबहुत मनभावन
जवाब देंहटाएंकाश चीमा जी भी आते
दोहा 12 पढ़ जाते ।
भिन्न-भिन्न हैं मान्यता, मिन्न-भिन्न परिवेश।
गुलदस्ता सा लग रहा, अपना भारत देश।१२।
सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंरिमझिम बरखा से दोहे ...बेहद खूबसूरत ...
जवाब देंहटाएंसहता है अपमान को, धरती के भगवान।
फिर भी अन्न उगा रहा, सबके लिए किसान।१५।
जिस घर में मिलता सदा, नारी को सम्मान।
वो घर मन्दिर सा लगे, मानो स्वर्ग समान।१६।......वाह सटीक
वाह! बढ़िया दोहे....
जवाब देंहटाएंसादर बधाई।
beautiful
जवाब देंहटाएं