1400 वीं पोस्ट भारत माँ के वास्ते, हुए पुत्र बलिदान। ऐसे बेटों पर सदा, माता को अभिमान।१। दिल से जो है निकलती, वो ही करे कमाल। बेमन से लिक्खी हुई, कविता बने बबाल।२। राजनीति के खेल में, कुटिल चला जो चाल। उसकी जय-जयकार है, उसका ही सब माल।३। चलते-चलते सफर में, बन जाते संयोग। कुछ सुख को देते यहाँ, कुछ फैलाते रोग।४। फल-सब्जी को खाइए, निखर जाएगा रंग। तला-भुना खाकर नहीं, होता निर्मल अंग।५। सीमित शब्दों में कहो, सीधी-सच्ची बात। जली-कटी कहकर कभी, देना मत आघात।६। उपादान के मर्म को, समझाते हम आज। धर्म और सत्कर्म से, सुधरे देश-समाज।७। अनाचार को देखकर, लोग हो रहे मौन। नौका लहरों में फँसी, पार लगाये कौन।८। तीन पंक्तियाँ कर रही, दिल पर सीधा वार। जापानी है हाईकू, करता तीखी मार।९। सदा कलम से हारती, तोप और तलवार। सबसे तीखी विश्व में, शब्दों की है मार।१०। जो दिल से निकले वही, सच्चे हैं अशआर। सच्चे शेरों से सभी, करते प्यार अपार।११। मानव दानव बन रहा, करता कृत्य जघन्य। सजा मौत से कम नहीं, इनको हो अनुमन्य।१२। जिसकी जैसी सोच है, वैसी उसकी होड़। कोई मद्धम चल रहा, कोइ लगाता दौड़।१३। हास और परिहास से, मिलता है आनन्द। लम्बे जीवन के लिए, सूत्र यही निर्द्वन्द।१४। सोच-सोच में हो गई, अपनी उम्र तमाम। थोड़ी सी है ज़िन्दगी, कैसे होंगे काम।१५। सावन सूखा हो रहा, नहीं बरसते नीर। निर्धन, श्रमिक-किसान का, मन हो रहा अधीर।१६। मिल जाता जब किसी को, उसके मन का मीत। अंग-अंग में थिरकता, प्यारभरा संगीत।१७। |
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सोमवार, 16 जुलाई 2012
"आज फिर सत्रह दोहे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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मार्गदर्शन करते दोहे !
जवाब देंहटाएंसावन है बारिश
जवाब देंहटाएंबाहर बादल बरसते हैं
अंदर बनते हैं
दोहे खूबसूरत
यहाँ बरसते हैं
बार बार बरसते हैं।
बढ़िया दोहे-
जवाब देंहटाएंएक पंथ दो काज |
संग्रह भी जरुरी है-
सादर ||
वैसे राजनीति सत्ता का कोई नहीं हमें ज्ञान
जवाब देंहटाएंआपके मिलेजुले दोहों की धार बहुत तेज़ रहती हैं
जवाब देंहटाएंएक से बढकर एक दोहे, बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया दोहे...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सार्थक दोहे....
जवाब देंहटाएंआपका आभार
सादर
अनु
बहुत बढ़िया सार्थक दोहे....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब दोहे शास्त्री जी। आपने लगभग हर क्षेत्र मे अपना अनुभव न दोहों के माध्यम से दर्शाया है। बहुत ही सुंदर प्रस्तुती। प्रतीक संचेती
जवाब देंहटाएंथोडा अर्थ भी खोले ताकि अन्य को समझ मे आये शानदार पोस्ट
जवाब देंहटाएंयुनिक ब्ला{ग ----- फेसबुक टाईमलाईन
सदा कलम से हारती, तोप और तलवार।
जवाब देंहटाएंसबसे तीखी विश्व में, शब्दों की है मार !
सच कहा आपने ...
आभार !
ये हैं सेहत के नुस्खे शास्त्री जी ,परिवेशी दोहे तो हैं ही सार्थक व्यंजना लिए हैं जीवन और जगत की अपने पूरे परिवेश की .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और प्रेरक दोहे, १४०० वीं पोस्ट के लिये बधाई..
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक और सार्थक दोहे तो है ही..साथ में धारदार भी, १४०० वीं पोस्ट के लिये बधाई..
जवाब देंहटाएं1400th post ki haardik shubhkaamnaayein sir!
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