कौन है अंजाना?
समाजवाद का चेहरा है,
जाना-पहचाना?
--
डाका, राहजनी, और चोरी,
सुरसा के मुँह के समान-
बढ़ रही है,रिश्वतखोरी।
देख रहे हैं-
गरीब और मजदूर,
होता जा रहा है,
चिकित्सा और न्याय-
उनसे दूर।
--
बढ़ता जा रहा है-
भ्रष्टाचार, व्यभिचार और शोषण,
नेतागण कर रहे हैं-
अपने परिवार का पोषण।
--
क्या समाजवाद-
सबके हित की-आवाज है?
क्या देश में दीन-दुखी,
आम आदमी का राज है?
पछता रहे हैं,
गरीब और कमजोर,
क्यों भेजा था उन्होंने संसद में-
एक निकम्मा-कामचोर?
--
आज केवल-
नेता ही आबाद है,
जनता
आज भी बरबाद है।
क्या यही समाजवाद है?
हाँ यही समाजवाद है।
Ravan Raj
जवाब देंहटाएंसनी कहा..आज केवल-
जवाब देंहटाएंनेता ही आबाद है,
...ये लाल टोपी समाजवाद का प्रतिक नहीं है!...शायद साम्यवाद का प्रतिक है!
जवाब देंहटाएंहाँ यही समाजवाद है।-SATEEK KATAKSH .BADHAI
जवाब देंहटाएंहाँ यही समाजवाद है।-SATEEK KATAKSH .BADHAI
जवाब देंहटाएंसमाजवाद ने ही देख का बेडा गरक कर रखा है
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनीकी ब्लाग
सब सुख में रहें..
जवाब देंहटाएंबापू तुम्हारी लाठी की कसम समाजवाद को घसीट घसीट के ला रहें हैं ,
जवाब देंहटाएंऔर तुम्हारे लंगोट की कसम माल खुद खा रहें हैं ,
इसीलिए रोज़ तिहाड़ जा रहें हैं ,
और तुम्हारी कसम बापू अगला चुनाव ,
तिहाड़ से ही लड़ेंगे .
badhayee dene ke liue shukariya sir ,samajwad parrachana swabhavik ban padi hailekin aaj har taraf vaad-hi vaad hai.jovivad m badal chuka hai.
जवाब देंहटाएंअब कोई कया करे लोकतंत्र की अपनी सीमाएं भी हैं
जवाब देंहटाएंसमाजवाद तो मात्र मंचों की भाषा है .......इन अवसरवादियों का रास्ता ही भय ,भूख और लालच से बनता है ,....इतिहास गवाह है / तोडा ,जोड़ा और मरोड़ा ... समाजवाद शायद डॉ. लोहिया के साथ ही तिरोहित हो गया ..../
जवाब देंहटाएंकोई भी वाद
जवाब देंहटाएंकिताबी परिभाषा
हो जाता है
बस भाषण देने
के वो एक
काम आता है
बाकी हाथी के
दिखाने के दांत
हो जाता है!!!
सोचना पड़ता है कई बार !
जवाब देंहटाएंaajkal to SP congress ki friend bani hui hai...
जवाब देंहटाएंबस हल्की नील चढाकर के, मै कुर्सी को पा लेता हूँ
जवाब देंहटाएंतू खाना खा कर जीवित है, मै जनमत खाकर ज़िंदा हूँ,,,,,