पर्वत से चलकर आते हैं, कलकल नाद सुनाते हैं। बाधाओं से मत घबड़ाना, निर्झर हमें सिखाते हैं।। लक्ष्य सदा आगे को बढ़ना, निर्मल नीर बहाना है। सूखी धरती सिंचित करके, फिर उर्वरा बनाना है। नद-नालों को पावन जल से, आप्लावित कर जाते हैं। बाधाओं से मत घबड़ाना, निर्झर हमें सिखाते हैं।। शोर-मचाते हँसते गाते, दुर्गम-सुगम ठिकानों में। बालू, कंकड़-पत्थर लाते, पर्वत से मैदानों में। ये बिन लहरों के सोते हैं, लहर-लहर लहराते हैं। बाधाओं से मत घबड़ाना, निर्झर हमें सिखाते हैं।। प्रेम-प्रीत करने वालों को, झरने ही सुख देते हैं। जग की झंझावातों को, ये पलभर में हर लेते हैं। जीवन की परिभाषाओं का, सबको सार बताते हैं। बाधाओं से मत घबड़ाना, निर्झर हमें सिखाते हैं।। |
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शनिवार, 14 जुलाई 2012
"कलकल नाद सुनाते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह सुन्दर संदेश देती उत्तम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना शास्त्री जी ...और उतना ही सुंदर चित्र भी ....
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई इस प्रस्तुति के लिये ....!!
पर्वत से चलकर आते हैं,
जवाब देंहटाएंकलकल नाद सुनाते हैं।
बाधाओं से मत घबड़ाना,
निर्झर हमें सिखाते हैं।।..वाह: बहुत ही उत्साहवर्धक रचना..आभार
बहुत सुन्दर उत्कृष्ट रचना..
जवाब देंहटाएंचित्र भी बहुत सुन्दर है...
:-)
बहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंबाधाओं से मत घबड़ाना,
जवाब देंहटाएंनिर्झर हमें सिखाते हैं।।
बहुत सुन्दर.....
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें ||
बहुत सुन्दर ...वाह
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बारिस मे बहते झरने
जवाब देंहटाएंनिर्झर हमें सिखाते हैं...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंपर्वत से चलकर आते हैं,
जवाब देंहटाएंकलकल नाद सुनाते हैं।
बाधाओं से मत घबड़ाना,
निर्झर हमें सिखाते हैं।।
प्रेरक उत्प्रेरक रचना .प्रकृति से प्रेरणा .निर्झर ,बह कल कल ,अविरल ,बढ़ और आगे बढ़ रुक मत ,....बढ़ चल ...
बहुत सुंदर रचना , सुंदर चित्र भी ....
जवाब देंहटाएंबहुत-2 बधाई प्रस्तुति के लिये ....!!
वाह! वाह! बहुत सुंदर गीत...
जवाब देंहटाएंऔर चित्र के तो क्या कहने...
सादर।
निर्झर राग सुना रहे ये सुन्दर सा चित्र
जवाब देंहटाएंबाधाओं से मत घबराओ बता रहेहै मित्र,,,,,,,
सुंदर रचना का झरना कल कल बह रहा है ।
जवाब देंहटाएंकल कल नाद सुनाता झरना बहुत सुन्दर रचना है |
जवाब देंहटाएंआशा
beautiful pictures...
जवाब देंहटाएं