जंगल में मंगल हुआ, हरा-भरा परिवेश। वन की आभा दे रही, हमको ये सन्देश।१। बालक बैठे ले रहे, वर्षा का आनन्द। भीनी-भीनी आ रही, पौधों में से गन्ध।२। सावन आया झूम के, पड़ती सुखद फुहार। तन-मन को शीतल करे, बहती हुई बयार।३। मक्का फूली खेत में, पके डाल पर आम। जामुन गदराने लगी, डाली पर अभिराम।४। चारों ओर बिछा हुआ, हरा-हरा कालीन। पौधों को जीवन मिला, खुश हैं जल में मीन।५। बया चहकती नीड़ में, चिड़िया मौज मनाय। पौध धान की शान से, लहर-लहर लहराय।६। काँवड़ लेने चल पड़े, भक्त शम्भु के द्वार। बम-भोले के नाम की, होती जय-जयकार।७। मानसरोवर जा रहे, जत्थों में कुछ लोग। शिवजी को कैलाश में, चले लगाने भोग।८। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 12 जुलाई 2012
"सावन के दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
वाह वाह बहुत सुन्दर दोहे सावन की ऋतु सार्थक हो उठी शब्दों में
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे...
सादर
अनु
वाह! वाह! बहुत सुन्दर दोहे...
जवाब देंहटाएंसादर
क्या बात है
जवाब देंहटाएंबढिया दोहे
बहुत सुंदर दोहे हैं शास्त्री जी...आपसे प्रेरित होकर मैंने भी लिखे हैं..पंखुडियां पर http://archanat18.blogspot.in/2012/07/blog-post_12.html
जवाब देंहटाएंसावन के दोहो से सजी,पढ़ने में है श्रेष्ट
जवाब देंहटाएंहर दोहे अच्छे लगे ,बढ़िया सुन्दर बेस्ट,,,,,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
चले लगाने भोग,भक्त अपने भगवन को
जवाब देंहटाएंप्रभु वंदन में महादेव को स्व अर्पण को
मक्का फूली खेत में, पके डाल पर आम।
जवाब देंहटाएंजामुन गदराने लगी, डाली पर अभिराम।४
बहुत सुन्दर सावन काव्यात्मक दोहावली .
आनन्द आ गया !
जवाब देंहटाएंचित्र और शब्द, दोनों ही मस्ती टपका रहे हैं।
जवाब देंहटाएंkhoobsoorat dohe guru jee!
जवाब देंहटाएं