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वाह बडी आसानी से आपने कम्पयूटर की जानकारी दे दी और हमने सीख भी लिया । थैंक यू
जवाब देंहटाएंseema sachdev
aur ham yeh kavita computer par hi paDh rahe haiN, waah computer...
जवाब देंहटाएंbahut saral tareeke se aap bachon ko har cheez ke bare me samjhate hain bahut badiya abhar
जवाब देंहटाएंइस कविता को पढ़कर
जवाब देंहटाएंस्पष्ट हो गया है कि
अल्प समय में ही मयंक जी ने
बातकविताओं की रचना पर
अपनी बहुत अच्छी पकड़ बना ली है!
बड़ा काम का है कम्प्यूटर तो..हम तो लगा बस ब्लॉगिंग के काम आता है.
जवाब देंहटाएंवाह आपने तो कंप्युटर जी के काम भी कविता मे बता दिये. बहुत बढिया रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
इस पोस्ट के प्रस्तुतीकरण से
जवाब देंहटाएंजो श्रम और लगन झलक रही है,
वह यह दर्शा रही है कि
"मयंक जी" ब्लॉगिंग के माध्यम से
"बालसाहित्य" के सागर को
एक से बढ़कर एक अमूल्य रत्न
समर्पित करते जा रहे हैं!
AB KYA KAHEN, LAAAAAJAWAAAAB
जवाब देंहटाएंबच्चों को कंप्यूटर के
जवाब देंहटाएंहार्डवेयर्स की जानकारी
रोचक ढंग से देने के लिए भी
यह बालकविता उत्तम है!
सरल शब्दों में ज्ञान बढ़ता है आपका प्रयास
जवाब देंहटाएंकभी सोम-रस पे भी आयें और पढ़े
ताजमहल के रहस्य के लिए http://somadri.blogspot.com/2009/05/taj-or-tejo.html
माँ को समर्पित मेरा ब्लॉग सोम-रस के लिए http://som-ras.blogspot.com/2009/05/blog-post.html
computer ke bare mein is dhang se to sirf aap hi samjha sakte hain........itna saral aur sahaj tarika sirf aap hi jante hain.
जवाब देंहटाएंशीर्ष टिप्पणीकार के,
जवाब देंहटाएंरवि जी हैं हकदार।
धन्यवाद के शब्द में,
छिपा हुआ है प्यार।।
आधा शतक लगाय कर,
आये ऊपर आप।
उच्चारण पर आपकी,
बड़ी अनोखी छाप।।
प्यार का उपहार पाकर,
जवाब देंहटाएंहो गया हूँ धन्य!
आप-जैसा श्रेष्ठ सर्जन
कर न पाए अन्य!
क्या करूँ, मयंक जी!
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाएँ होती ही ऐसी हैं
कि उनसे कुछ न कुछ
व्यक्त करने की प्रेरणा
स्वयं ही मिल जाती है!