-- कितना अद्भुत है यहाँ, रिश्तों का संसार। जीवन जीने के लिए, रिश्ते हैं आधार।१। -- केवल भारत देश में, रिश्तों का सम्मान। रक्षाबन्धन पर्व की, अलग अनोखी शान।२। -- कच्चे धागों से बँधी, रक्षा की पतवार। रोली-अक्षत-तिलक में, छिपा हुआ है प्यार।३। -- भाई की लम्बी उमर, ईश्वर करो प्रदान। बहनें भाई के लिए, माँग रहीं वरदान।४। -- सदा बहन की मदद को, भइया हों तैयार। रक्षा का यह सूत्र है, राखी का उपहार।५। -- चाहे युग बदलें भले, बदल जाय संसार। अमर रहेगा हमेशा, यह पावन त्यौहार।६। -- राखी के ही तार में, छिपी हुई है प्रीत। जब तक चन्दा-सूर हैं, अमर रहेगी रीत।७। -- राखी के दिन किसी का, सूना रहे न हाथ। प्रेम-प्रीत की रीत का, छूटे कभी न साथ।८। -- रेशम-जरी-कपास के, रंग-बिरंगे तार। ले करके बहना चली, अब बाबुल के द्वार।९। -- |
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गुरुवार, 31 अगस्त 2023
दोहे "रक्षाबन्धन-रंग-बिरंगे तार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
बुधवार, 30 अगस्त 2023
दोहे "सम्बन्धों के तार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ -- बहनों को मत भूलना, याद दिलाता
पर्व। रक्षाबन्धन पर्व पर, भारत को है
गर्व।। -- परम्परा मत समझना, राखी का त्यौहार। रक्षाबन्धन में निहित, होता पावन प्यार।। -- राखी लेकर आ गयी, बहना बाबुल-द्वार। भाई देते खुशी से, बहनों को उपहार।। -- रक्षाबन्धन पर्व का, दिन है सबसे खास। जिनके बहनें हैं नहीं, वो हैं आज उदास।। -- ममता की इस डोर में, उमड़ा रहा है प्यार। भावनाओं से हैं बँधें, सम्बन्धों के तार।। -- अपनी बहनों से कभी, मत होना नाराज। भइया रक्षा-सूत्र की, रखना हरदम लाज।। -- कच्चे धागों में छिपी, ममता है मजबूत। जो भाई के हृदय को, कर देती अभिभूत।। -- जरी-सूत या जूट के, धागे हैं अनमोल। गौरव के इतिहास से, सज्जित है भूगोल।। -- राखी के दिन देश में, उमड़ा प्यार-अपार। रिश्ते-नातों की चहक, देख रहा संसार।। -- निश्छल पावन प्यार का, होता जहाँ निवेश। सबसे न्यारा जगत में, मेरा भारत देश।। -- |
मंगलवार, 15 अगस्त 2023
दोहे "बोलो वन्दे मातरम्, रहो सदा सानन्द" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सोमवार, 14 अगस्त 2023
गीत "सीमा के योद्धाओं से" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गाथाओं से भुजबल फड़कें, जिनकी शौर्य कथाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। जाँबाजी से जो उत्तर देते हैं, शातिर तोपों का, डट कर करते रोज सामना, आतंकी दुर्योगों का, कभी न हार मानते सैनिक, सीमा पर बधाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। लोग सिरफिरे दल-दलदल है, जिसमें मैली-पंक भरी, नहीं सुहाती उनको अपनी, सौम्य वाटिका हरी-भरी, कृष्ण-कन्हैया बन कर करते, छेड़-छाड़ राधाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। डींग मारते बड़ी-बड़ी वो, बेमतलब बतियाते हैं, निर्धन श्रमिक-किसानों की जो धरती को हथियाते हैं, सुख मिलता ऐसे लोगों को, उमड़ी हुई व्यथाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। ओछी हरकत करके जो, इतिहास कलंकित करते हैं, वो भारत-माँ के माथे पर, कालिख अंकित करते हैं, करते हैं परिहास हमारे, सीमा के योद्धाओं से। गूँज रहा है चमन देश का, वीरों की गाथाओं से।। |
रविवार, 13 अगस्त 2023
गीत "गद्य लिखो, स्वीकार हमें है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-- गद्य अगर कविता होगी तो, कविता का क्या नाम धरोगे? सूर-कबीर और तुलसी को, किस श्रेणी में आप धरोगे? -- तुकबन्दी औ’ गेय पदों का, कुछ कहते हैं गया जमाना। गीत-छन्द लिखने का फैशन, कुछ कहते हैं हुआ पुराना। जिसमें लय-गति-यति होती है, परिभाषा ये बतलाती है। याद शीघ्र जो हो जाती है, वो ही कविता कहलाती है। अपनी कमजोरी की खातिर, कब तक तर्क-कुतर्क करोगे? सूर-कबीर और तुलसी को किस श्रेणी में आप धरोगे? -- लिख करके आलेख-लेख को, अनुच्छेद में बाँट रहे क्यों? लगा टाट के पैबन्दों को, काव्य गलीचा गाँठ रहे क्यों? नहीं जानते पद्य अगर तो, गद्य लिखो, स्वीकार हमें है। गद्यकार का रूप तुम्हारा, दिल से अंगीकार हमें है। गीतों-ग़ज़लों की नौका में, कब तक तुम सन्ताप भरोगे? सूर-कबीर और तुलसी को, किस श्रेणी में आप धरोगे? -- लाओ नूतन शब्द गद्य में, पावन जल से भरो सरोवर। शुक्ल-हजारीलाल सरीखे, बन जाओ तुम गद्य धरोहर। गद्यकार कहलाने में भी, घट जाता सम्मान नहीं है। क्या उपदेशों-सन्देशों में? मिलता कोई ज्ञान नहीं है। कड़वी औषध रोग मिटाती, पीने में कब तलक डरोगे? सूर-कबीर और तुलसी को, किस श्रेणी में आप धरोगे? -- |
शनिवार, 12 अगस्त 2023
दोहे "मृग नयनी की बात" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नीम करेला जगत में, कभी न मीठा होय। मगर न छोड़े दुष्टता, पीकर निर्मल तोय।। -- राजनीति में चल रही, साँठ-गाँठ भरपूर। सिंहासन की दौड़ में, मीत हो गये दूर।। -- आदत पल-पल बदलता, कलयुग में इंसान। देख जगत के ढंग को, बदल रहा भगवान।। -- सब अपने को कर रहे, सच्चा सेवक सिद्ध। मांस नोचने के लिए, मँडराते हैं गिद्ध।। -- अब तक भी समझे नहीं, जो अपनी औकात। बात-बात में कर रहे, मृग नयनी की बात।। -- दादा जी के कबर में, लटक रहे हैं पाँव। लेकिन अब भी खोजते, वो आँचल की छाँव।। -- |
सोमवार, 7 अगस्त 2023
गीत "रोशनी का संसार माँगता हूँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
-- मै प्यार का हूँ राही और प्यार माँगता हूँ। मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।। -- सूनी सी ये डगर हैं, अनजान सा नगर हैं, चन्दा से चाँदनी का आधार माँगता हूँ। मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।। -- सूरज चमक रहा है, जग-मग दमक रहा है, किरणों से रोशनी का संसार माँगता हूँ। मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।। -- यह प्रीत की है डोरी, ममता की मीठी लोरी. मैं स्नेहसिक्त पावन परिवार माँगता हूँ। मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।। -- |
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