इन दरिन्दों से सदा दामन बचाना चाहिए। अब न नंगे जिस्म को ज्यादा नचाना चाहिए। हुस्न की परवाज़ तो थम ही नहीं सकतीं कभी, पंख ज्यादा जोश से ना फड़फड़ाना चाहिए। इश्क की आँधी में उड़ जाना न अच्छी बात है, सिर्फ शीतल पवन को घर में बसाना चाहिए। खूब मथकर सेंकना चूल्हे में दिलकश रोटियाँ, अटपटी बातों को दिल में ही पचाना चाहिए। “रूप” के लोभी लुटेरे ताँक में हैं आपकी, सोचकर अपने स्वयंवर को रचाना चाहिए। |
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सोमवार, 9 मई 2011
"दामन बचाना चाहिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह्………………गज़ब की सीख देती रचना लिखी है…………बहुत ही बढिया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसेंकना चूल्हे में दिलकश रोटियाँ,
जवाब देंहटाएंवाह वाह
वाह अत्यंत तेजपूर्ण प्रभावशाली कविता.
जवाब देंहटाएंचूल्हे की रोटियों की बात ही निराली है --बहुत बढियां !
जवाब देंहटाएंshaandar ghazal
जवाब देंहटाएंइन दरिन्दों से सदा दामन बचाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंअब न नंगे जिस्म को ज्यादा नचाना चाहिए।
सार्थक सन्देश , बधाई.
http://tobeabigblogger.blogspot.com/2011/05/best-blogger.html
आज के माहौल को देखते हुए अच्छी सीख देती सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश देती बहुत शानदार रचना..आभार
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 10 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
दमदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंsandesh deti rachna
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार। आभार।
जवाब देंहटाएंमौजूदा दौर में ऐसी नसीहतें बहुत ज़रूरी हैं ...
जवाब देंहटाएंआभार !
बहुत कुछ सेंक दिया शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंmarmik samvedanshil srijan ,prabalata
जवाब देंहटाएंpradan karta hridaygrahi silp .
shukriya sir .
इश्क की आँधी में उड़ जाना न अच्छी बात है,
जवाब देंहटाएंसिर्फ शीतल पवन को घर में बसाना चाहिए।
waah
wah ji wah! sundar prastuti!
जवाब देंहटाएंsehaj, sundar!
इश्क की आँधी में उड़ जाना न अच्छी बात है,
जवाब देंहटाएंसिर्फ शीतल पवन को घर में बसाना चाहिए ...
बहुत खूब .. क्या बातें कह दी हैं शेरों के माध्यम से ... लाजवाब ...
इन दरिन्दों से सदा दामन बचाना चाहिए।
जवाब देंहटाएंअब न नंगे जिस्म को ज्यादा नचाना चाहिए।
दिल छूती पंक्तियाँ. बहुत प्यारी कविता है। धन्यवाद
बहुत ही बढिया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंthree days se out of station thi.post padhne aur comment dene me late ho gai.maafi chahti hoon.adbhut bahut rochak shikshaprad kavita likhi hai aapne.badhaai.
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