गर्मी के कारण हुए, हाल बहुत बेहाल। बाल वाङ्मय लिख रहे, मुँडवा करके बाल।। सिर घुटवा गंजे हुए, दोनों ब्लॉगर साथ। रवि जी ने रक्खा हुआ, कन्धे पर है हाथ।। जब रवि की किरणें पड़ीं, चमक उठी है चाँद। टकले सिर पर मित्रवर, चुटिया को लो बाँध।। टकले सिर के साथ में, चमक रहा है भाल। कुछ दिन में आ जायँगे, फिर से सुन्दर बाल।। कम्प्यूटर के साथ में, हैं रावेन्द्र-मयंक। टिपियाते हैं सभी को, राजा हो या रंक।। |
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सोमवार, 30 मई 2011
"दोहे-दो गंजे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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वाह...क्या बात है सर :)))))
जवाब देंहटाएंसादर
इस गैटअप में भी अच्छे लग रहे हैं...
जवाब देंहटाएंमजा आ गया पढ़कर...
नमस्कार जी,
जवाब देंहटाएंशैतान बच्चों से बच कर रहना कहीं टोले ना मार दे, सिर पर घूम पड जावेगा,
हा हा हा वाह रे कवि ह्रुदय बिना बात के भी बात बना जाता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...फोटो भी और दोहे भी..आभार
जवाब देंहटाएंमजा नहीं आया.
जवाब देंहटाएंसदा सलामत रहे आपका ये टकला और भाल.
चांदी जैसे चमक रहे हैं, फिर क्यों चाहें बाल.
ये वेश आपको चाणक्य बना रहा है. इसका भी सुख लीजिए.
बहुत दिनों तक कंघी से छुट्टी मिल जायेगी.
अरे हाँ, शैम्पू और तेल से भी.
.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत फूले फले प्रियवर को गंजत्व
गुरु चाणक्य सिखा गए गंजेपन का तत्व
चुटिया जैसे यंत्र है ग्रहण करे विज्ञान
थोथा थोथा उडा दे थामे रक्खे सत्व ...
bahut badiyaa.garmi se rahat paane ka naya upaya.badiyaa hai .badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंये चांद सा रोशन चेहरा... राकेश रोशन जैसा :D
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 31 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
सुंदर अति सुंदर जी
जवाब देंहटाएंटकले सिर के साथ में, चमक रहा है भाल।
जवाब देंहटाएंकुछ दिन में आ जायँगे, फिर से सुन्दर बाल।
फिर से सुन्दर बाल फसल हरी-भरी हो जाएगी
रवि को भाए या न भाए, ‘उनको’ तो भाएगी।
hahahahahha.........bahut khub
जवाब देंहटाएंgrami ko bhi enjoy kar rahe hai aap dono
चांद जो शरमा गया तो
जवाब देंहटाएंहमें न कहिएगा
अमावस की रात को
आपको ही आसमान दिखलाएंगे
bahut khub... bina baal walon ke bhi baal ki khaal utaar li...
जवाब देंहटाएंदोनों ही बड़े स्मार्ट लग रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंmajedaar... aanand aa gayaa. ha ha ha ...
जवाब देंहटाएंहा हा... इस केटेगरी में एक और ब्लोगर है... आधा गंजा.. http://aadityaranjan.blogspot.com/2011/05/blog-post_25.html
जवाब देंहटाएंवाह शानदार .दोहे भी और फोटो भी
जवाब देंहटाएंचलिए शास्त्री जी 'रूप' निखर आया है 'चन्द्र' (चाँद) का.भाभी जी से एक काला टीका जरूर लगवा
जवाब देंहटाएंलीजियेगा.कहीं नजर न लग जाये.
ab tel sidhe dimag tak jayega aur mukh se umda rachna nikalwayega.
जवाब देंहटाएंये स्टाईल तो बहुत फब रहा है आप लोगों पर...
जवाब देंहटाएंवैसे आपके यहाँ भी गर्मी पड़ती है क्या?
गूगल बज़ से-
जवाब देंहटाएंindu puri goswami - हा हा अपुन भी एक बार तकले हुए थे.मम्मी ने गुस्से में बाल काट दिए थे.चुटिया गुथ्वाने के नाम पर मैं उनकी कसरत करवा देती थी.गंजा करवाना पड गया.उस दिन पापा ने मम्मी की क्लास ले ली थी.अ उर अपन राम पापा को देख कर ज्यादा ही बुक्का फाड़ने लगे थे.हा हा हा ...............आप तो मुस्करा रहे हैं उस पर काव्य रचना भी ,वाह जी !
वाह! बहुत सुन्दर लगा! गर्मी में इसी से ही राहत मिलती है! तस्वीरों के साथ शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंchaand nazar aa gaya...
जवाब देंहटाएंगंजेपन पर आपके दोहे पढ़कर किसी का एक प्यारा सा शेर याद आ गया. आप भी देखिये:-
जवाब देंहटाएंकौन कहता है की माशूक मेरा गंजा है,
चाँद के सर पे कहीं बाल हुआ करते है.
'टकले सिर के साथ में, चमक रहा है भाल।
जवाब देंहटाएंकुछ दिन में आ जायँगे, फिर से सुन्दर बाल।।'
उम्मीद पर दुनिया कायम है,विश्वास रखिये फिर आ जायेंगे बाल,ये वो दोस्त,रिश्तेदार नही जो जरूरत पड़ने पर अकेला छोड़ जाते हैं.
जब तक आते नही दोनों के सिर पर बाल
यूँ ही खींचते रहिए सबके बाल की खाल
अपने सिर का पूरा रखिये ख्याल
टकला करते रहिये दोस्त को कई कई बार
जब तक न आ जाये आपके सिर पर बाल
लम्बे बालो,जुल्फों पर तो लिखा खूब पढा है किन्तु टकलो पर.....शायद पहली बार.हा हा हा
सुंदर दोहे रच दिए, चाँद देखकर वाह!
जवाब देंहटाएंसरसेंगे फिर बाल कब, चाँद देखती राह!!
--
ऐसी रचनाएँ तो केवल आप ही कर सकते हैं!
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जवाब देंहटाएं*****
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खूबसूरत है.....
जवाब देंहटाएंदोहे भी
और दोनो चाँद भी.
एक दिन मे दो दो चाँद खिले………
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ! he he he he he he ! ho ho ho ho ho ho ! :-) :-):-):-)
जवाब देंहटाएंवाह शानदार बाल-निवारण गाथा!!
जवाब देंहटाएंबड़ी ही सामयिक पोस्ट, गर्मी में हमसे भी बाल नहीं सम्हाले जाते थे।
जवाब देंहटाएंगर्मी का अचूक नुस्खा...
जवाब देंहटाएंगर्मियों में गंजा होना एक अच्छी बात है
जवाब देंहटाएंक्योंकि शरीर की सारी गर्मी निकल जाती है
और हिंदुओं को सुनकर मुझे भी एक दोहा सा याद आ गया
दो मक्खियों में गहरी दोस्ती थी
जिनमें से एक मक्खी एक गंजे के सिर पर जाकर बैठ गई
तो दूसरी मक्खी बोली क्या घर खरीदा है
तो उसने जवाब दियa
अभी घर नहीं बना केवल प्लॉट खरीदा है