गेंहूँ झूम रहे खेतों में, उपवन में बहार आयी है। उतर गये हैं कोट सभी के, मस्त बसन्ती रुत आयी है।। मूँगफली अब नही सुहाती, गजक-रेबड़ी नही लुभाती, चाट-पकौड़ी मन भायी है। मस्त बसन्ती रुत आयी है।। चहक रही पेड़ों पर चिड़ियाँ, महक रहीं बालाएँ-बुढ़ियाँ, डाली-डाली गदरायी है। मस्त बसन्ती रुत आयी है।। दिन आये हैं प्रीत-प्रेम के, मन भाये हैं गीत-प्रेम के, मन में सरसों लहराई है। मस्त बसन्ती रुत आयी है।। (चित्र गूगल सर्च से साभार) |
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सोमवार, 1 फ़रवरी 2010
“मस्त बसन्ती रुत आयी है!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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waah waah..........sach mein mast basanti rut aa gayi hai.......aapke geet ne to usmein chaar chaand laga diye hain.
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी है मगर सरसों और फूल नहीं दिखे चित्र में ...इनके बिना कैसा वसंत ...!!
जवाब देंहटाएंदिन आये हैं प्रीत-प्रेम के,
जवाब देंहटाएंमन भाये हैं गीत-प्रेम के,
मन में सरसों लहराई है।
मस्त बसन्ती रुत आयी है।।
बहुत सुन्दर शास्त्री जी !
अति सुंदर - मनोहारी चित्रण.
जवाब देंहटाएंदिन आये हैं प्रीत-प्रेम के,
जवाब देंहटाएंमन भाये हैं गीत-प्रेम के,
मन में सरसों लहराई है।
मस्त बसन्ती रुत आयी है।।nice
शास्त्री जी कहाँ चाट-पकौड़ी की याद दिला रहे हैं। डाक्टर ने बन्द कर रखी है।
जवाब देंहटाएंप्रकृति के बदलते रूप को कविता में बहुत बारीकी से उभारा गया है।
जवाब देंहटाएंसारी कायनात ही जैसे अंगड़ाई ले जाग उठती है।
जवाब देंहटाएंबसंत का सुंदर आवाहन.
जवाब देंहटाएंbilkul sahi baat kahi hai shastri ji..
जवाब देंहटाएंcongrats
सचमुच आई ऋतु वासंती!
जवाब देंहटाएंझूम उठा मन!
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नवसुर में कोयल गाता है -"मीठा-मीठा-मीठा! "
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संपादक : सरस पायस
भाई साहब! सादर नमन!
जवाब देंहटाएंकविता पढ़कर आपकी, उमडी खुशी अनंत।
फलित फरवरी माह है, चारों ओर बसंत॥
चारों ओर बसंत, खेत, वन-उपवन, महके।
बौराए है पेड, आदमी बहके - बहके॥
सार्ट लीव पर रहें, आजकल प्रतिदिन सविता।
ऎसे में उत्ताप जगाती केवल कविता॥
सद्भावी-
डॉ० डंडा लखनवी
रंग सजा कर बैठा बनिया
जवाब देंहटाएंगोरी खरीद रही फागुनिया
अब शुरू होने को, पुरवाई है
मस्त बसन्ती रुत आयी है।।
बसंत में मस्त कराती सुन्दर कविता.....आभार !!
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मूँगफली अब नही सुहाती,
जवाब देंहटाएंगजक-रेबड़ी नही लुभाती,
चाट-पकौड़ी मन भायी है।
मस्त बसन्ती रुत आयी है।।
वाह लाजवाब रचना लिखा है आपने! चाट पकौड़े की बात सुनकर तो मुँह में पानी आ गया!