अध्यापक का सबसे ज्यादा भारत में सम्मान है। गोविन्द तक पहुँचाने वाला गुरू प्रथम सोपान है।। गुरू ज्ञान का शक्ति पुंज है, गुरू ही करुणा का निधान है, विद्याओं का यह निकुंज है, सबल राष्ट्र का महाप्राण है, कंचन सा कर देने वाला गुरू पारस पाषाण है। गोविन्द तक पहुँचाने वाला गुरू प्रथम सोपान है।। माँ ने दी सुन्दर सी काया, शिक्षक ने जीना सिखलाया, सामाजिकता कैसे आती, गुरू ने बालक को बतलाया, गुरू चरणों की रज में रचते-बसते चारों धाम हैं। गोविन्द तक पहुँचाने वाला गुरू प्रथम सोपान है।। आज हमारे हाथों में है, रोली, अक्षत और चन्दन, तन से मन से धन से हम, करते शिक्षक का अभिनन्दन, पाँच सितम्बर को भारत में, शिक्षक का सम्मान है। गोविन्द तक पहुँचाने वाला गुरू प्रथम सोपान है।। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
रविवार, 5 सितंबर 2010
“पाँच सितम्बर-शिक्षक का अभिनन्दन” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
धन्य हो प्रभु.............
जवाब देंहटाएंबहुत पवित्र गीत प्रस्तुत किया
आभार !
आज हमारे हाथों में है,
जवाब देंहटाएंरोली, अक्षत और चन्दन,
तन से मन से धन से हम,
करते शिक्षक का अभिनन्दन,
Saargarbhit aur Anukarniy abhivyakti
बहुत सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंआज हम जो कुछ भी हैं गुरु के कारण ही हैं.
गुरु तो वन्दनीय है ५ सितम्बर ही क्यों हर दिन ही उनकी वंदना होनी चाहिए
जवाब देंहटाएंसुंदर गीत, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर गीत, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर गीत.गुरु वंदन
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
शास्त्रीजी ,
जवाब देंहटाएंगुरु सदैव महान है, आपकी कविता उसकी सम्पूर्णता और हमारे लिए उसके महत्व को प्रदर्शित कर रही है.
इस दिवस पर मैं भी अपने सभी गुरुओं को नमन करती हूँ
बहुत सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
कंचन सा कर देने वाला गुरू पारस पाषाण है।
जवाब देंहटाएंगोविन्द तक पहुँचाने वाला गुरू प्रथम सोपान है ।।
बहुत सुन्दर रचना.
शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये और बधाई .
बड़ी सच और सुन्दर बात लिखी है।
जवाब देंहटाएंये सुन्दर गीत तो आपके गुरु को गुरु-दक्षिणा हो गई...
जवाब देंहटाएंअच्छी गुरु वंदना, शश्त्री जी !
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता... नमन...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत! शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाइयाँ और शुभकामनाएं | आशा है कि अपने सार्थक लेखन से आप ऐसे ही ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
शिक्षक दिवस पर आपकी बेहतरीन प्रस्तुति ....आभार
जवाब देंहटाएंमाँ ने दी सुन्दर सी काया,
जवाब देंहटाएंशिक्षक ने जीना सिखलाया,
सामाजिकता कैसे आती,
गुरू ने बालक को बतलाया, ...
वैसे तो किसी न किसी समय पर माँ और पिता भी गुरु का ही कार्य करते हैं हमारे जीवन में ...
बहुत अच्छी रचना है ... गुरु को समर्पित ....
bahut hi achcha likha hai shastri ji.abhinadan.....iske liye aapko bhi abhinandan.
जवाब देंहटाएं