ठण्डाई और भंग घुट रही,
आंगन और चौबारों में।
साज सुरीले बजते हैं,
रंग-बिरंगी पिचकारी की,
चहल-पहल बाजारों में।
राधा-रानी, कृष्ण-कन्हैया,
हँसी-ठिठोली करते है,
गोरी की चोली भीगी है,
फागुन-फाग, फुहारों में।
खुशियों के सन्देशे लेकर,
पवन-बसन्ती आयी है,
दुल्हिन का मन रंगा हुआ है,
सतरंगी बौछारों में।
कर सोलह सिंगार धरा ने,
अनुपम छटा बिखेरी है,
खेत, बाग, वन-मन-उपवन,
छाये हैं मस्त बहारों में।
वैसे तो होली की मस्ती,
जवाब देंहटाएंभइया, सब पर छाई है!
लेकिन उच्चारण पर यह
सबसे ज़्यादा गदराई है!
होली है भई होली है ये तो सब होगा ही । सुन्दर होली गीत ।
जवाब देंहटाएंहोली की शुभ-कामनाएं आपको तथा आपके प्रत्येक सदस्य को ।
जवाब देंहटाएंHoli Ki badhai !!
जवाब देंहटाएं-------------------------
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holi to hoti hi aisi hai ki sukhe huye patton mein bhi rang bhar de,har gulshan ko gulzaar kar de.........aapne bahut badhiya likha hai.......holi ka har rang har masti sab hai aapki kavita mein.
जवाब देंहटाएंहोली पर
जवाब देंहटाएंआपकी यह कविता
बहुत बढ़िया है।
शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंहोली पर आपने अपने ब्लाग पर
कविताओं के साथ-साथ रंगों की
भी बरसात कर दी।
आपको होली की मुबारकवाद।
मयंक जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर होली गीत।
अब ब्लाग के साथ ही
जवाब देंहटाएंगलियों में भी होली की तरंग है।
सुन्दर होली गीत।
आपके होली गीत में
जवाब देंहटाएंप्रकृति का सिंगार भी अनूठा है।
बधाई।
होली का हुड़दंग मचा है,
जवाब देंहटाएंगाँव-गली, घर-द्वारों में।
...............
...............
रंग-बिरंगी पिचकारी की,
चहल-पहल बाजारों में।
एक अच्छा होली गीत।
होली का हुड़दंग।
जवाब देंहटाएंआपको होली की
शुभकामनाएँ।
अति सुन्दर!
जवाब देंहटाएंप्रकृति की छटा देखते ही बनती है..
होली की शुभकामनायें!
होली मुबारक हो..
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