कई मित्र टिप्पणी अक्सर, सब रचनाओं पर कर देते हैं, सुन्दर, बढ़िया लिख करके, निज जान छुड़ा भर लेते है। कुछ तो बिना पढ़े ही, केवल कापी-पेस्ट किया करते हैं, सबको खुश करने को, वे प्रतिदान दिया करते है। भाई मेरे, रचना के बारे में, भी लिख दिया करो। आँख मूँद कर, एक तरह की, नही टिप्पणी किया करो। |
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गुरुवार, 19 मार्च 2009
आप माने या न मानें: ब्लॉगर मित्रों को मेरा सुझाव (डॉ.रुपचन्द्र शास्त्री मयंक)
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kya baat hai shastri jiaapne to katusatya kah diya agar koi samjhe to.
जवाब देंहटाएंकटु सत्य लिखा ... इसमें और क्या प्रतिक्रिया दे सकती हूं।
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना का ध्येय यदि छंद लिखना है तो ----वाह !!
जवाब देंहटाएंओर यदि सचमुच आप समालोचना पाना चाहते हैं,तो -- आपका साधुवाद..
वचन देती हूँ,निष्ठापूर्वक समालोचना दिया करुँगी...
वैसे इस रचना में भी आपने बड़ी ही सुन्दरता से अपने भावों को अभिव्यक्ति दिया है.
हम भी कोई प्रतिक्रिया देते अगर यहाँ कोई रचना होती । लेकिन टिप्पणी पर की गई टिप्पणी पर क्या टिपियाएँ ,सो हम तो चले ....!
जवाब देंहटाएंआपने अपनी बात बहुत अच्छे से कही है ...:) असर होगा धीरे धीरे
जवाब देंहटाएंकड़वा सच बोल दिया
जवाब देंहटाएंबात तो सौ फीसदी सही कही कविता के माध्यम से ....
जवाब देंहटाएंaap jaisee tippani dena har kisis ke bas mein nahin...aap to turant jawab mein kavita hi rach saktey hain...
जवाब देंहटाएंlikha saty hai aap ne.
Aur-kayee log comments mein sirf apna blog address/invitation/advert de jaatey hain...in sab ka kya ilaaaj hai??[jawab--comments moderation!]
ओके
जवाब देंहटाएंकृप्या बुरा न मानें- अगर रचना आधारित टिप्पणी चाहते हैं तो उपरोक्त रचना जहाँ एक ओर अपनी बात कहने में सफल रही, वहीं गेयता की दृष्टि से मात्राओं की गिनती में त्रुटि है, जरा गिन कर देखियेगा. गाने में अटकन आ रही है.
जवाब देंहटाएंअरे!! आप तो बुरा मान गये, ये वाली टिप्पणी वापस लेते हैं हम और ये नई वाली रखिये...
"बेहतरीन उम्दा रचना"
-कौन सी बेहतर है भाई जी??
बड़े भाई मयंक जी,
जवाब देंहटाएंउच्चारण पर
सौवीं पोस्ट के
प्रकाशन पर
मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ!
सर झि, सबसे पहले तो आपको सौवीं पोस्ट की बधाई और शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबात आपने पते की कही. पर तीपणी करना भी एक तरह का सृजन ही है जो शायद आपके जैसा हर किसी मे नही है.
आपकी तो एक टिपणि ही पाकर आनन्दित हो जाते हैं क्योंकि वो टिपणि नही पूरी एक कविता मयी पोस्ट होती है.
कुछ बच्चे ऐसी गलती भी कर जाते हैं और कुछ संकोचवश या ना समझी के कारण भी ऐसा करते होंगे.
बहुत शुभकामनाएं आपको.
रामराम.
अरे सर!!! सौ वीं पोस्ट की बधाई देना तो भूल ही गया..बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाऐं.
जवाब देंहटाएंकुछ बुरा लगा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ.
मुझे भी मालूम नहीं हो सका था कि यह आपकी सौंवी पोस्ट है ... बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंaapki rachna padh kar aaye hain isliye copi paste nahi kar rahe....!!
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम ब्लाग की सौंवी पोस्ट के उपलक्ष्य में बधाई स्वीकार करें........तत्पश्चात आपकी बात का समर्थन करते हुए सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि यहां पोस्ट पढना कोन चाहता है,सिर्फ आपसी संबंधों का निर्वहण ही किया जा रहा है......
जवाब देंहटाएंसौ वीं पोस्ट की बधाई !!!
जवाब देंहटाएंमयंक जी!
जवाब देंहटाएंआपको जाल-जगत पर
सौवीं पोस्ट लगाने की बधाई।
शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंसौवीं पोस्ट के लिए मुबारकवाद।
आपके सुझाव पर मैं क्या
नुक्ता-चीनी कर सकता हूँ ।
आपकी सौवीं पोस्ट बिल्कुल अलग है।
जवाब देंहटाएंबधायी।
आपकी सौवीं पोस्ट
जवाब देंहटाएंबिल्कुल अलग है।
बधायी।
आपको सौवीं पोस्ट लगाने की बधाई।
जवाब देंहटाएंTHANKS FOR CENTURY.
जवाब देंहटाएंAAPKA-
HUNGAMA DEO
मयंक जी!
जवाब देंहटाएंआपने ब्लाग पर 100वीं पोस्ट
की मंजिल पार कर ली है।
मेरी कामना है कि आप
स्वस्थ रहते हुए शतायु हों।
मित्रवर मयंक जी।
जवाब देंहटाएंसौवीं प्रविष्टि के लिए।
ढेर सारी शुभ कामनाएँ।
वर्जना अच्छी है।
मंयक जी,
जवाब देंहटाएंआज क्या प्रकाशित कर दिया।
ना-समझ तो रुष्ट होंगे।
शेष सुझाव को सहजता से लेकर
इस सुझाव पर ध्यान देंगे।
100वीं प्रविष्टिी के लिए,
बधायी।
CONGRATULATION FOR 100.
जवाब देंहटाएंBEST OF LUCK.
समीर जी ने ध्यान दिलाया तो पता चला- सेंचरी के लिए बधाई। सच कहें तो टिप्पणी अपनी हाज़री दर्ज कराने के लिए ही तो लिखी जाती है:)
जवाब देंहटाएं