मैं मयंक हूँ, मेरी और,
रजनी रानी की कुछ बातें हैं।
विरह -व्यथा की सौगातें,
कुछ साथ बिताई रातें हैं।।
मेरी रजनी नैहर पहुँची,
उसकी पाती एक न आयी।
मैंने एक सन्देशा लिखकर,
चिट्ठी उनको भिजवायी।।
जब उनका उत्तर पाया तो,
मन आनन्दित हुआ घनेरा।
उसने लिखा परम प्रिय साजन,
मेरा तो सब कुछ है तेरा।।
मुझको लेने जल्दी आओ,
तुम बिन तड़पत हृदय सलोना।
रीत पुरानी सभी छोड़ दो,
क्या होता है औना-गौना।।
प्यार भरा आदेश मिला,
किसमें साहस कर सके उलंघन।
जा पहुँचा रजनी को लेने,
तोड़ सभी सामाजिक बन्धन।।
सासू के घर पहुँच गया तो,
पत्नी करती देखी पूजा।
तब डाह हुई मेरे मन में क्यों,
बसा है इसके मन दूजा।।
पूछा मैंने निज सजनी से,
तुम पूजा किसकी करती हो?
पत्नी का है, पति-परमेश्वर,
फिर मन्दिर में क्या करती हो?
तब आँख मूँद वह यों बोली,
वह प्रेमी है तुम साजन हो।
वह रोम-रोम में बसता है,
तुम तो सपनों के भाजन हो।।
चुभ गया तीर शशि के मन में,
सोचा मेरा पद नीचा है।
है जीवन का जंजाल पति,
प्रेमी का ही पद ऊँचा है।।
मेरा यह कड़ुआ अनुभव है,
जीवन दर्शन मुझसे सीखो।
पति भले ही बनो न तुम,
लेकिन प्रेमी बनना सीखो।।
मेरा यह कड़ुआ अनुभव है,
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन मुझसे सीखो।
पति भले ही बनो न तुम,
लेकिन प्रेमी बनना सीखो।।
नायाब भावों की रचना.
रामराम.
रहस्यवाद का सुंदर प्रस्तुतीकरण है यह रचना!
जवाब देंहटाएंbahut khub sir sundar rachna . gazab ki virah hai..
जवाब देंहटाएंaapki vyatha bilkul sahi hai............har aurat pati mein premi hi dekhna chahti hai.
जवाब देंहटाएंरहस्यवाद की अच्छी प्रणय रचना है।
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करें ।
शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंआपने अपने बीते दिनों की
स्मृति को रोचक ढंग से
कविता में बाँधा है।
मेरी शुभकामनाएँ।
मयंक जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है।
हर नारी को इससे
सबक लेना चाहिए।
मुबारकवाद।
मयंक जी।
जवाब देंहटाएंआपने आपकी पुरानी
कविताएँ भी जानदार हैं।
बधाई।
आजकल के फिल्मी गीतों से तो
जवाब देंहटाएंआपकी कविता लाख गुना अच्छी है।
बधायी।
सुन्दर भावों को लिए हुए
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता है।
शुभकामनाएँ।
भाई मयंक जी
जवाब देंहटाएंआशा है,आप स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे.आपको भी होली की बहुत-बहुत बधाई.
मेरे ब्लॉग को
समर्थन करने के लिए धन्यवाद.
आपके सुझाव एवं मार्गदर्शन की प्रतीक्षा रहेगी.
सप्रेम आपका साथी
अरविन्द कुमार