मोम सा मत हृदय को बनाना कभी, रूप हर पल में इसका बदल जायेगा! शैल-शिखरों में पत्थर सा हो जायेगा, घाटियाँ देखकर यह पिघल जायेगा!! देगा हर एक कदम पर दगा आपको, सह न पायेगा यह शीत और ताप को, पुण्य को देखकर यह दहल जायेगा, पाप को देखते ही मचल जायेगा! रूप पल भर में इसका बदल जायेगा!! आइने की तरह से सजाना इसे, क्रूर-मग़रूर सा मत बनाना इसे, दिल के दर्पण में इक बार तो झाँक लो, झूठ और सत्य का भेद खुल जायेगा! रूप पल भर में इसका बदल जायेगा!! टूटना, कांच का खास दस्तूर है, झुकना-मुड़ना नही इसको मंजूर है, दिल को थाली का बैंगन बनाना नही, वरना यह ढाल को देख ढल जायेगा! रूप पल भर में इसका बदल जायेगा!! |
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सोमवार, 12 जुलाई 2010
“.. .. .बदल जायेगा!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
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बहुत ही सुन्दर गीत लिखा है………………एक सार्थक संदेश देता हुआ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर गीत|
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात कही है अपने भाईसाहब...बहुत सुंदर गीत...!
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात कही है अपने भाईसाहब...बहुत सुंदर गीत...!
जवाब देंहटाएंसुन्दर, उपदेशात्मक गीत.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक गीत है आपका।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत अच्छा लगा और शिक्षाप्रद भी। वाह!
टूटना, कांच का खास दस्तूर है,
जवाब देंहटाएंझुकना-मुड़ना नही इसको मंजूर है,
दिल को थाली का बैंगन बनाना नही,
वरना यह ढाल को देख ढल जायेगा!
रूप पल भर में इसका बदल जायेगा!
संदेशप्रद रचनाएं अच्छी लगती हें !!
बड़ा ही सुन्दर और गम्भीर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत...सन्देश देता हुआ....
जवाब देंहटाएंटूटना, कांच का खास दस्तूर है,
जवाब देंहटाएंझुकना-मुड़ना नही इसको मंजूर है,
आपकी रचनाएँ अलग सा एहसास दे जाती हैं
अति सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर जी
जवाब देंहटाएंकोई शक नहीं कि आप उच्च श्रेणी का साहित्य सृजन कर रहे हैं..
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंटूटना, कांच का खास दस्तूर है,
जवाब देंहटाएंझुकना-मुड़ना नही इसको मंजूर है,
wahhhhhhhhhh kya baat hai aapne to gagar m sagar bhar diya
बहुत अच्छी लगी तुलना
जवाब देंहटाएं"दिल को थाली का बैगन-------"
आशा
Shri maan ji .. pahli baar aapke blog par aaya. Itni sunder rachna padhkar dil khush ho gaya.
जवाब देंहटाएंI wish you all he best sir g.
sundar geet
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