हनुमान जयन्ती की
सभी भक्तों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
धीर-वीर, रक्षक प्रबल, बलशाली-हनुमान।
जिनके हृदय-अलिन्द में, रचे-बसे श्रीराम।।
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महासिन्धु को लाँघकर, नष्ट किये वन-बाग।
असुरों को आहत किया, लंका मे दी आग।।
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कभी न टाला राम का, जिसने था आदेश।
सीता माता को दिया, रघुवर का सन्देश।।
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लछमन को शक्ति लगी, शोकाकुल थे राम।
पवन वेग की चाल से, पहुँचे पर्वत धाम।।
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संजीवन के शैल को, उठा लिया तत्काल।
बूटी खा जीवित हुए, दशरथ जी के लाल।।
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बिगड़े काम बनाइए, बनकर कृपा निधान।
कोटि-कोटि वन्दन तुम्हे, पवनपुत्र हनुमान।।
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शनिवार, 4 अप्रैल 2015
"बलशाली-हनुमान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ' मयंक')
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जय जय जय हनुमान ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ।
बिगड़े काम बनाइए, बनकर कृपा निधान।
जवाब देंहटाएंकोटि-कोटि वन्दन तुम्हे, पवनपुत्र हनुमान।।
..बहुत सुन्दर दोहे ....
जय बजरंग बली की!
आपको भी हनुमान जयंती की मंगलकामनाएं!
बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंसुन्दर काण्ड की कवित्त मय प्रस्तुति शास्त्री जी के शब्दों में :आज हनुमान जयंती पर मुख -चिठ्ठे के वाचकों के लिए :
जवाब देंहटाएं"बलशाली-हनुमान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ' मयंक')
हनुमान जयन्ती की
सभी भक्तों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
धीर-वीर, रक्षक प्रबल, बलशाली-हनुमान।
जिनके हृदय-अलिन्द में, रचे-बसे श्रीराम।।
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महासिन्धु को लाँघकर, नष्ट किये वन-बाग।
असुरों को आहत किया, लंका मे दी आग।।
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कभी न टाला राम का, जिसने था आदेश।
सीता माता को दिया, रघुवर का सन्देश।।
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लछमन को शक्ति लगी, शोकाकुल थे राम।
पवन वेग की चाल से, पहुँचे पर्वत धाम।।
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संजीवन के शैल को, उठा लिया तत्काल।
बूटी खा जीवित हुए, दशरथ जी के लाल।।
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बिगड़े काम बनाइए, बनकर कृपा निधान।
कोटि-कोटि वन्दन तुम्हे, पवनपुत्र हनुमान।।
बधाई के पात्र है श्रीमान शास्त्री जी इस रचना के लिए विशेष तौर पर जो भक्ति और ज्ञान से भीगी हुई है ,बधाई ,बधाई ,बधाई।
जवाब देंहटाएंबिगड़े काम बनाइए, बनकर कृपा निधान।
जवाब देंहटाएंकोटि-कोटि वन्दन तुम्हे, पवनपुत्र हनुमान।।
--सुन्दर प्रस्तुति...
आपको भी हनुमान जयंती की हार्दिक मंगलकामनाएं!
जवाब देंहटाएंजय हो महा प्रभु की।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत
बहुत ही सुन्दर दोहे ... जय हनुमान ...बहुत बहुत बधाई उत्तम दोहों के सृजन पर ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंबेहतरीन दोहे बलशाली हनुमान की
जवाब देंहटाएंसुंदर और भक्तिमय दोहे
जवाब देंहटाएं