खटमल-मच्छर वीर का, बतलाता हूँ भेद।
खटमल पाकिस्तान का, अजमल और नवेद।
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खटिया में रहने लगे, खटमल सहपरिवार।
खून चूसने के लिए, रहते हैं तैयार।।
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डंक मारने के लिए, रखते हैं सम्बन्ध।
कायर के तो रक्त में, आती है दुर्गन्ध।।
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नहीं चलाता पीठ पर, कभी दंश के तीर।
बिना चुनौती के नहीं, आता मच्छर वीर।।
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खून चूसने में नहीं, कोई भी है न्यून।
लेकिन मच्छर का नहीं, बदबूवाला खून।।
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छिपकर करता वार जो, खटमल वो नापाक।
लेकिन मच्छर वीर के, तेवर होते पाक।।
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कभी न मच्छर लाँघता, मच्छरदानी जाल।
चुपके से खटमल चले, सदा घिनौनी चाल।।
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अपमानित होते सदा, कुटिल नीति से दूत।
आन-बान के साथ में, जीता वीर सपूत।।
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रविवार, 6 सितंबर 2015
दोहे "खटमल-मच्छर का भेद" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत न्यायिक दोहे। गुणात्मक भेद के साथ जीवन दर्शन और नीति शास्त्र शास्त्री जी!👍👌
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