भारतमाता के सुहाग की, जो है पावन बिन्दी।
भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।।
भरी हुई है वैज्ञानिकता, व्यञ्जन और स्वरों में,
उच्चारण में बहुत सरलता, इसके सभी अक्षरों में,
ब्रज-गोकुल में बसी हुई हो, बनकर जो कालिन्दी।
भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।।
सन्तों के कण्ठों से उपजी, मीठी-मीठी सुरसवती हो,
वीणा की झंकार सुनाती, सरस्वती सी सरसवती हो,
शीतल मन्द सुगन्ध पवन सी, तुम बयार हो आनन्दी।
भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।।
अपनी हिन्दी भाषा का, कण-कण वन्दन करता है,
देवनागरी का जन-गण, मन से अभिनन्दन करता है,
इतना होने पर भी इंग्लिश भारत में क्यों जिन्दी?
भोली-भाली सबसे प्यारी, है अपनी भाषा हिन्दी।।
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बुधवार, 14 सितंबर 2016
गीत "भारतमाता के सुहाग की हिन्दी पावन बिन्दी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर ।
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