सीधे-सादे शब्द हैं, दोहों का आधार।
चमत्कार के फेर में, होता बण्टाधार।।
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बड़े-बड़े जो छन्द हैं, उनका केवल नाम।
थोड़े शब्दों में करे, दोहा अपना काम।।
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लेखन अगर सटीक हो, होगी पैनी धार।
दिल से निकले शब्द ही, करते दिल पर वार।।
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अपने बिल में रेंगकर, सीधा चलता सर्प।
योगी और महान को, खा जाता है दर्प।।
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साथ सरलता के सदा, रहता आदर-भाव।
जहाँ कुटिलता हो वहाँ, इसका रहे अभाव।।
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सुलभ सभी कुछ है यहाँ, दुर्लभ बिन तदवीर।
कामचोर ही खोजते, दुनिया में तकदीर।।
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तानाशाही से लुटी, बड़ी-बड़ी जागीर।
जनमत के आगे नहीं, टिकटी है शमशीर।।
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शनिवार, 19 नवंबर 2016
दोहे "करते दिल पर वार" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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लेखन अगर सटीक हो, होगी पैनी धार।
जवाब देंहटाएंदिल से निकले शब्द ही, करते दिल पर वार।।
bahut sateek likha hai...doha specialist ji
तानाशाही से लुटी, बड़ी-बड़ी जागीर।
जवाब देंहटाएंजनमत के आगे नहीं, टिकटी है शमशीर।। वाह