लालचौक
पर आज तिरंगा, लहराता अभिमान से।
आजादी
का जश्न हो रहा, देखो कितनी शान से।।
पत्थरबाजों
के कुकृत्य से, मुक्त हो गयी है घाटी,
उग्रवाद-आतंकवाद
की, खतम हो गयी परिपाटी,
अब भारतमाँ
के जयकारे, उठते महल वितान से।
आजादी
का जश्न हो रहा, देखो कितनी शान से।।
सीमाओं
की रखवाली में. सजग हमारे प्रहरी हैं,
श्रमिक-किसानों
के बल पर ही, उगती फसल सुनहरी है,
शान
हमारे भारत की है, वीर जवान-किसान से।
आजादी
का जश्न हो रहा, देखो कितनी शान से।।
आजादी
के परवाने हम, वसुन्धरा अपनी माता,
जननी-जन्मभूमि
से अपना, जन्म-जन्म का है नाता,
स्वतन्त्रता
हमने पाई है, वीरों के बलिदान से
आजादी
का जश्न हो रहा, देखो कितनी शान से।।
फूट
डालकर-राज करो का, नहीं चलेगा अब सिक्का,
कूटनीति
को देख हमारी, बैरी है हक्का-बक्का,
अमन-चैन
की दुआ माँगते, हम अपने भगवान से।
आजादी
का जश्न हो रहा, देखो कितनी शान से।।
एक
राष्ट्र की एक पताका, देती है सन्देश हमें,
तीनों
रंगों का समान ही, रखना है परिवेश हमें,
देशप्रेम
का दीप जलेगा, एक समान विधान से।
आजादी
का जश्न हो रहा, देखो कितनी शान से।।
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शुक्रवार, 16 अगस्त 2019
देशभक्ति गीत "देशप्रेम का दीप जलेगा, एक समान विधान से" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-08-2019) को "देशप्रेम का दीप जलेगा, एक समान विधान से" (चर्चा अंक- 3431) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
आपके दोहे सदा भाव और काव्य दोनों में उत्कृष्ट होते हैं आदरणीय।
जवाब देंहटाएंडॉक्टर रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक', आप की आशावादी कविता मन में उमंग और उत्साह उत्पन्न करती है. देश की अखंडता के लिए कश्मीर का पूरी तरह से हमारा होना अत्यंत आवश्यक है लेकिन इसके लिए हमको कश्मीरियों के दिलों को भी जीतना होगा. उनका विश्वास पाकर ही हम उनका प्यार और सहयोग प्राप्त कर सकते हैं.
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