तुकबन्दी से खिलता उपवन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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शब्दों को मन में उपजाओ
फिर इनसे कुछ वाक्य बनो
सन्देशों से खिलता गुलशन
स्वर व्यञ्जन ही तो है जीवन
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तुकबन्दी मादक-उन्मादी
बन्धन में कैसी आजादी
सुख बरसाता रहता सावन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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आता नहीं बुढ़ापा जिसको
तुकबन्दी कहते हैं उसको
कविता होती है चिरयौवन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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दुर्जन के प्रति भरो निरादर
महामान्य का करना आदर
तुकबन्दी से होता वन्दन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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तुकबन्दी मनुहार-प्यार है
यह महकता हुआ हार है
तुकबन्दी होती चन्दन-वन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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शायर की यह गीत–ग़ज़ल है
सरिताओं की यह कल-कल है
योगी-सन्यासी का आसन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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तुकबन्दी बिन जग है सूना
यही उदाहरण, यही नमूना
तुकबन्दी में है अपनापन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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तुकबन्दी बिन काव्य अधूरा
मज़ा नहीं मिलता है पूरा
तुकबन्दी से होता गायन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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अगर शान से जीना चाहो
तुकबन्दी को ही अपनाओ
खोलो तो मुख का वातायन
स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन
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सोमवार, 9 सितंबर 2019
गीत "तुकबन्दी से खिलता उपवन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत दुन्दर गीत ...
जवाब देंहटाएंनया अंदाज़ ...
तुकबंदी से तुकबंदी तक बहुत अच्छी तुकबंदी की शास्त्री जी, बहुत खूब
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