तुमको सच्चे मन से ध्याता। दया करो हे दुर्गा माता।। व्रत-पूजन में दीप-धूप हैं, नवदुर्गा के नवम् रूप हैं, मैं देवी का हूँ उद् गाता। दया करो हे दुर्गा माता।। प्रथम दिवस पर शैलवासिनी, शैलपुत्री हैं दुख विनाशिनी, सन्तति का माता से नाता। दया करो हे दुर्गा माता।। देवी तुम हो मंगलकारिणी, निर्मल रूप आपका भाता। दया करो हे दुर्गा माता।। बनी चन्द्रघंटा तीजे दिन, मन्दिर में रहती हो पल-छिन, सुख-वैभव तुमसे है आता। दया करो हे दुर्गा माता।। कूष्माण्डा रूप तुम्हारा, भक्तों को लगता है प्यारा, पूजा से संकट मिट जाता। दया करो हे दुर्गा माता।। पंचम दिन में स्कन्दमाता, मोक्षद्वार खोलो जगमाता, भव-बन्धन को काटो माता। दया करो हे दुर्गा माता।। कात्यायनी बसी जन-जन में, आशा चक्र जगाओ मन में, भजन आपका मैं हूँ गाता। दया करो हे दुर्गा माता।। कालरात्रि की शक्ति असीमित, ध्यान लगाता तेरा नियमित, तव चरणों में शीश नवाता। दया करो हे दुर्गा माता।। महागौरी का है आराधन, कर देता सबका निर्मल मन, जयकारे को रोज लगाता। दया करो हे दुर्गा माता।। सिद्धिदात्री तुम कल्याणी सबको दो कल्याणी-वाणी। मैं बालक हूँ तुम हो माता। दया करो हे दुर्गा माता।। |
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रविवार, 10 अप्रैल 2022
आरती "माँ दुर्गा जी की वन्दना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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दुर्गा माता की बहुत सुन्दर और भाव-पूर्ण वंदना !
जवाब देंहटाएंसुंदर, भावपूर्ण वंदना...
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