जिसकी माटी में चहका हुआ है सुमन, मुझको प्राणों से प्यारा है मेरा वतन। जिसकी घाटी में महका हुआ है पवन, मुझको प्राणों से प्यारा है मेरा वतन।। -- जिसके उत्तर में अविचल हिमालय खड़ा, और दक्षिण में फैला है सागर बड़ा. नीर से सींचती गंगा-यमुना चमन। मुझको प्राणों से प्यारा है मेरा वतन।। -- वेद, कुरआन-बाइबिल का पैगाम है, ज़िन्दगी प्यार का दूसरा नाम है, कामना है यही हो जगत में अमन। मुझको प्राणों से प्यारा है मेरा वतन।। -- सिंह के दाँत गिनता, जहाँ पर भरत, धन्य आजाद हैं और विस्मिल-भगत, प्राण आहूत करके किया था हवन। मुझको प्राणों से प्यारा है मेरा वतन।। -- यह धरा देवताओं की जननी रही, धर्मनिरपेक्ष दुनिया में है ये मही, अपने भारत को करता हूँ शत्-शत् नमन। मुझको प्राणों से प्यारा है मेरा वतन।। -- |
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मंगलवार, 16 अगस्त 2022
देशभक्तिगीत "मेरा वतन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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देशभक्ति से ओतप्रोत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंदेशप्रेम के सुंदर भावों से भरी इस रचना के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाये। सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर
देश भक्ति का सुंदर गान।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम भाव सृजन।