-- बीत गया सावन सखे, आया भादौ मास। श्री कृष्ण जन्माष्टमी, है बिल्कुल अब पास।। -- श्री कृष्ण जन्माष्टमी, मना रहा
संसार। हे मनमोहन देश में, फिर से लो
अवतार।। -- राजनीति में हो गये, सारे कौवे
हंस। बाहर से गोपाल हैं, भीतर से हैं
कंस।। -- दोपायो से आज हैं, चौपाये भयभीत। कैसे फिर मिल पायगा, दूध-दही नवनीत।। -- जब आयेंगे देश में, कृष्णचन्द्र गोपाल। आशा है गोवंश का, तब सुधरेगा हाल।। -- जल थल में क्रीड़ा करें, बालक जब नन्दलाल। नाचेंगी तब गोपियाँ, ग्वाले देंगे ताल।। -- भारत के वर्चस्व का, जिससे हो आभास। लगता वो ही ग्रन्थ तो, सबको सबसे खास।। -- फल की इच्छा मत करो, कर्म करो निष्काम। कण्टक वृक्ष खजूर पर, कभी न लगते आम।। -- वेद-पुराण-कुरान का, गीता में है सार। भगवतगीता पाठ से, होते दूर विकार। -- दो माताओं का मिले, जिसको प्यार दुलार। वो ही करता जगत में, दुष्टों का संहार।। -- |
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बुधवार, 6 सितंबर 2023
दोहे "हे मनमोहन देश में, फिर से लो अवतार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शुभकामनाएं | सुन्दर दोहे |
जवाब देंहटाएंमनमोहन को बुला रहे हैं :) सरदार जी फिर से आ गए तो मोदी जी नाराज हो जायेंगे |
जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार शुभ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन ... आपकी लेखनी कमाल है ...
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