-1- आया देवउठान फिर, होंगे मंगल काज। हँसी-खुशी से कीजिए, अपने रीति-रिवाज।। -2- करना देवउठान पर, देवों का गुणगान। महक उठेंगे आपके, जीवन के उद्यान।। -3- आदिकाल से चल रहा, त्यौहारों का चक्र। आसमान में ग्रहों की, गति होती है वक्र।। -4- मौसम प्रतिदिन भेजता, हमें गुलाबी पत्र। जो तन को अनुकूल हों, वही पहनना वस्त्र।। -5- शीतलता बढ़ने लगी, रही उष्णता हार। धूप गुनगुनी अब हुई, जीवन का आधार।। -6- चन्दामामा में नहीं, सूरज जैसी धूप। आँखों को अच्छा लगे, सबको उसका रूप।। -7- चन्दा चमका गगन में, छाया धवल प्रकाश। लगे दमकने प्रीत से, धरा और आकाश।। -8- दिन है देवोत्थान का, व्रत-पूजन का खास। भोग लगा कर ईश को, तब खोलो उपवास।। -9- होते देवउठान से, शुरू सभी शुभ काम। दुनिया में सबसे बड़ा, नारायण का नाम।। -10- मंजिल की हो चाह तो, मिल जाती है राह। आज रचाओ हर्ष से, तुलसी जी का ब्याह।। -11- पूरी निष्ठा से करो, शादी और विवाह। बढ़ जाता शुभ कर्म से, जीवन में उत्साह।। -12- चलकर आये द्वार पर, नारायण देवेश।। आयी है एकादशी, लेकर शुभ सन्देश।। -13- खेतों में अब ईख ने, खूब सँवारा रूप। खाने को मिल जायगा, नवमिष्ठान अनूप।। -14- पावन-निर्मल हो गया, गंगा जी का नीर। सुबह-शाम बहने लगा, शीतल-सुखद समीर।। -- |
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बुधवार, 22 नवंबर 2023
दोहे "देवों का उत्थान-आया देवउठान" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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