पढ़ने में भी ध्यान लगाओ! -- सरसों ने पहना पीताम्बर, गेहूँ के बिरुए लहराते। मौसम
कितना हुआ सुहाना। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते।। -- दिवस
बढ़े हैं शीत घटा है, नभ
से कुहरा-धुंध हटा है, पक्षी
कलरव राग सुनाते। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते।। -- काँधों
पर काँवड़ें सजाओ, बम
भोले की धूम मचाओ, शैल-शिखर से शंकर आते। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते।। -- तन-मन
में मस्ती छाई है, अपनी
बेरी गदराई है, सभी
झूमकर हँसते गाते। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते।। -- निर्मल
है नदियों का पानी, पेड़ों
पर छा गई जवानी, खुश
हो करके ये इठलाते। -- बच्चों
अब मत समय गँवाओ, पढ़ने
में भी ध्यान लगाओ, सीख
काम की हम सिखलाते। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते।। -- प्रतिदिन
पुस्तक को दुहराओ, पास
परीक्षा में हो जाओ, श्रम
से सभी सफलता पाते। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते।। -- |
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गुरुवार, 18 जनवरी 2024
बालगीत "बच्चों अब मत समय गँवाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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