मतगणना होने लगी, उत्सुक हैं सब लोग। किसको सत्ता-सुख मिले, कौन करेगा योग।1। राज तिलक होगा किसे, कौन रचे इतिहास। जनता के जनतन्त्र में, किसे मिले सन्यास।2। -- ई.वी.एम. खुलने लगीं, लगने लगे कयास। किसको मिलता ताज है, मिले किसे वनवास।3। -- दशकों से जो झेलती, निर्वाचन में हार। गठबन्धन की नाव क्या, हो जायेगी पार।4। -- धर्म-ध्वजा पर कर रहे, अब तक जो थे रोष। देंगे वो इस बार भी, ई.वी.एम. को दोष।5। -- महँगाई के नाग का, झेल लीजिए दंश। गौ-गंगा की पालना, कभी न करता कंस।6। -- राम-नाम का हो रहा, गली-गाँव में शोर। आशा है मन में यही, सरसेगी अब भोर।7। |
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मंगलवार, 4 जून 2024
दोहे "सरसेगी अब भोर" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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