सागर
में से भर कर निर्मल जल को लाये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
गरमी
ने लोगों के तन-मन को झुलसाया है,
बहुत
दिनों के बाद मेघ ने दरस दिखाया है,
जग
की प्यास बुझाने को ये छागल लाये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
नाच
रहे पेड़ों के पत्ते, पुरवैया के झोंको से,
शीतल
पवन दे रही दस्तक, खिड़की और झरोखों से,
खेत-बाग
के व्याकुल-मन हर्षित हो मुस्काये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
धरती
की भर गयी दरारें, वर्षा के आने से,
खिले
किसानों के चेहरे, नभ पर बादल छाने से,
अब
हरियाली छा जायेगी, ये आस लगाये हैं।
झूम-झूम
कर नाचो-गाओ, बादल आये हैं।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 8 जून 2013
"मन हर्षित हो मुस्काये हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
वाह आपने तो बहुत सुन्दर चित्र खींच दिया है मगर अभी यहाँ का मौसम नही बदला है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बादल हैं, बस बरस पड़ें.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-06-2013) के चर्चा मंच पर लिंक
जवाब देंहटाएंकी गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दिल्ली की गर्मी में ठंडी फुहार जैसा...
जवाब देंहटाएंबादल आये, संग लाये कितने सुख के दिन।
जवाब देंहटाएंबादल के साथ गर्मी में फुहार ,शीतल पवन ,सुख के दिन,बहुत सुन्दर चित्र उकेर दिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंहमारे यहां तो मौसम आपकी कविता जैसा होने लगा है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर मौसमी रचना
जवाब देंहटाएंऐसे ही बादलों का बेसब्री से इंतज़ार है। मनोरम चित्रण लिए सुंदर गीत।
जवाब देंहटाएंबहुर अच्छा दादल का स्वागत गीत!
जवाब देंहटाएंlatest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
बादलों का स्वागत है...बहुत सुंदर लिखा
जवाब देंहटाएंab to baadal aa hee jaayein bass...
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएं