बिल्ली और बिलौटना, सदमें में हैं आज।
उज़ड़ गयी है अंजुमन. उतर गया है ताज।।
उतर गया है ताज, खत्म हो गयी कहानी।
विफल हो गयी चाल, देखकर है खिसियानी।।
कह मयंक कविराय, उड़ाते है सब खिल्ली।
नौ सौ चूहे खाय, आज सहमी है बिल्ली।।
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जनता कब तक झेलती, महँगाई की मार।
इस ज़ालिम सरकार को, कैसे करती प्यार।।
कैसे करती प्यार, दुबारा क्योंकर चुनती।
चुप हो करके राग, पुराना कब तक सुनती।।
कह मयंक कविराय, राज जनमत से बनता।
महँगाई को सहती, आखिर कब तक जनता।।
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बुधवार, 11 दिसंबर 2013
"कुण्डलिया-बिल्ली और बिलौटना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
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मैमना बकरी पार्टी पर करारा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंबिल्ली और बिलौटना, सदमें में हैं आज।
उज़ड़ गयी है अंजुमन. उतर गया है ताज।।
बढ़िया कुण्डलिया
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
क्या बात!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कुंडलियाँ.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : रोग निवारण और संगीत
हा हा !
जवाब देंहटाएंवाह !
मैमना बकरी पार्टी पर करारा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंबिल्ली और बिलौटना, सदमें में हैं आज।
उज़ड़ गयी है अंजुमन. उतर गया है ताज।।
उतर गया है ताज, खत्म हो गयी कहानी।
विफल हो गयी चाल, देखकर है खिसियानी।।
कह मयंक कविराय, उड़ाते है सब खिल्ली।
नौ सौ चूहे खाय, आज सहमी है बिल्ली।।