गद्य अगर कविता होगी तो,
कविता का क्या
नाम धरोगे?
सूर-कबीर और
तुलसी को,
किस श्रेणी में
आप धरोगे?
तुकबन्दी औ’ गेय पदों का,
कुछ कहते हैं
गया जमाना।
गीत-छन्द लिखने
का फैशन,
कुछ कहते हैं
हुआ पुराना।
जिसमें
लय-गति-यति होती है,
परिभाषा ये
बतलाती है।
याद शीघ्र जो हो जाती है,
वो ही कविता कहलाती है।
अपनी कमजोरी की खातिर,
कब तक तर्क-कुतर्क करोगे?
सूर-कबीर और
तुलसी को
किस श्रेणी में
आप धरोगे?
लिख करके
आलेख-लेख को,
अनुच्छेद में
बाँट रहे क्यों?
लगा टाट के
पैबन्दों को,
काव्य गलीचा गाँठ
रहे क्यों?
नहीं जानते
पद्य अगर तो,
गद्य लिखो,
स्वीकार हमें है।
गद्यकार का रूप
तुम्हारा,
दिल से अंगीकार
हमें है।
गीतों-ग़ज़लों
की नौका में,
कब तक तुम
सन्ताप भरोगे?
सूर-कबीर और
तुलसी को,
किस श्रेणी में
आप धरोगे?
लाओ नूतन शब्द
गद्य में,
पावन जल से भरो
सरोवर।
शुक्ल-हजारीलाल
सरीखे,
बन जाओ तुम
गद्य धरोहर।
गद्यकार कहलाने
में भी,
घट जाता सम्मान
नहीं है।
क्या
उपदेशों-सन्देशों में?
मिलता कोई
ज्ञान नहीं है।
कड़वी औषध रोग
मिटाती,
पीने में कब तलक डरोगे?
सूर-कबीर और तुलसी को,
किस श्रेणी में आप धरोगे?
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 11 सितंबर 2014
"कब तक तुम सन्ताप भरोगे?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
बहुत बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (12.09.2014) को "छोटी छोटी बड़ी बातें" (चर्चा अंक-1734)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! सटीक बात है ! अकविता को ही लोग कविता का नाम धर देते हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएं