आया है उल्लास का,
उत्तरायणी पर्व।
झूम रहे आनन्द में,
सुर-मानव-गन्धर्व।१।
--
जल में डुबकी
लगाकर, पावन करो शरीर।
नदियों में बहता यहाँ,
पावन निर्मल नीर।२।
--
जीवन में उल्लास
के, बहुत निराले ढंग।
बलखाती आकाश में,
उड़ती हुई पतंग।३।
--
तिल के मोदक खाइए,
देंगे शक्ति अपार।
मौसम का मिष्ठान
ये, हरता कष्ट-विकार।४।
--
उत्तरायणी पर्व
के, भिन्न-भिन्न हैं नाम।
लेकर आता हर्ष ये,
उत्सव ललित-ललाम।५।
--
सूर्य रश्मियाँ आ
गयीं, खिली गुनगुनी धूप।
शस्य-श्यामला धरा
का, निखरेगा अब रूप।६।
--
भुवनभास्कर भी
नहीं, लेगा अब अवकाश।
कुहरा सारा छँट
गया, चमका भानुप्रकाश।७।
--
अब अच्छे दिन आ
गये, हुआ शीत का अन्त।
धीरे-धीरे चमन
में, सजने लगा बसन्त।८।
--
रजनी आलोकित हुई,
खिला चाँद रमणीक।
देखो अब आने लगे, युवा-युगल
नज़दीक।९।
--
पतझड़ का मौसम
गया, जीवित हुआ बसन्त।
नवपल्लव पाने लगा,
अब तो बूढ़ा सन्त।१०।
--
पौधों पर छाने
लगा, कलियों का विन्यास।
दस्तक देता द्वार
पर, खड़ा हुआ मधुमास।११।
--
रवि की फसलों के
लिए, मौसम ये अनुकूल।
सरसों पर आने लगे,
पीले-पीले फूल।१२।
--
भँवरा गुन-गुन कर
रहा, तितली करती नृत्य।
खुश होकर करते
सभी, अपने-अपने कृत्य।१३।
--
आज सार्थक हो गयी,
पूजा और नमाज।
जीवित अब होने
चला, जीवन में ऋतुराज।१४।
|
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बुधवार, 14 जनवरी 2015
"चौदह दोहे-उत्तरायणी पर्व" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुन्दर प्रवाहमय प्रस्तुति , मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ,सादर
जवाब देंहटाएंसराहनीय पोस्ट
जवाब देंहटाएंसक्रांति की शुभकामनाएँ।
bahut sundar .........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दोहे. मकर संक्रांति की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : फासले कब मिटा करते हैं
सुन्दर सामयिक प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंमकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमकर संक्रान्ति की शुभकामनायें