नभ पर छायी है
घटा, ठिठुर रहा है
गात। |
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आदरणीय,
जवाब देंहटाएंसादर नमन 🙏🏻
गेंहूँ के बिरुए करें, अपनी करुण पुकार।
मालिक अब मत दीजिए, हमको ये उपहार।
बहुत ही हृदयस्पर्शी दोहा....
गेहूं के बिरुए का मानवीकरण अत्यंत प्रभावशाली है।
हार्दिक शुभकामनाओं सहित,
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
आशाएँ हैं बलवती, मन में है विश्वास।
जवाब देंहटाएंकृष्ण पक्ष के बाद में, होगी धवल उजास।
–आशाएँ फलित हों
–असीम शुभकामनाओं के संग वन्दन
समसामयिक शानदार रचना।
जवाब देंहटाएंआपको नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं, शास्त्री जी🙏
बेहतरीन दोहे आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंनववर्ष आपके और आपके परिवार के लिए मंगलमय और सुख-समृद्धि दायक हो 🙏
कृष्ण पक्ष के बाद में होगी धवल उजास" बहुत सुंदर प्रेरक रचना! साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सार्थक समय काल का सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय आपको समस्त परिवार जनों के साथ।