हो ज्ञानदायिनी माता तुम, मुझको गुणवान बना देना। विद्या का दान मुझे देकर, माता विद्वान बना देना।। -- बाधाओं ने मुझको घेरा, मन में डाला तम ने डेरा, तन-मन को रोग सताता है, पग-पग पर पथ भटकाता है, अपने साधक को माता तुम, बल से बलवान बना देना। विद्या का दान मुझे देकर, माता विद्वान बना देना।। -- हैं गीत सिसकते मानस में, अँधियारा घोर अमावस में, झंझावातों के हैं घेरे, प्रतिदान अधूरे हैं मेरे, छन्दों का देकर ज्ञान मुझे, माता धनवान बना देना। विद्या का दान मुझे देकर, माता विद्वान बना देना।। -- सूनी है मन की अमराई, होती जाती गहरी खाई, नौका डगमग-डगमग होती, अभिलाषाएँ धीरज खोती, बन जाये गरल सुधा जैसा, जीवन आसान बना देना। विद्या का दान मुझे देकर, माता विद्वान बना देना।। -- करने को माता का वन्दन, लाया हूँ कुछ अक्षत-चन्दन, अब काम न कोई दूजा है, मैंने तुमको ही पूजा है, जब-जब भटके मानस तब-तब, वीणा की तान सुना देना। विद्या का दान मुझे देकर, माता विद्वान बना देना।। -- |
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सोमवार, 27 जून 2022
सरस्वतीवन्दना "जीवन आसान बना देना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-6-22) को "आओ पर्यावरण बचाएं"(चर्चा अंक-4474) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रार्थना
जवाब देंहटाएंsarthak abhivyakti !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर माता की वंदना आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
बहुत सुंदर सरस्वती वंदना
जवाब देंहटाएं