पाई है कुन्दन कुसुमों ने कुमुद-कमलिनी जैसी काया। सेमल ने पुष्पित हो करके, कानन में ऋतुराज सजाया।। जब बसन्त पर यौवन आता, सुमन सभी खुल कर मुस्काते। भँवरे इनको देख-देखकर, मन में हर्षित होकर गाते जाते।। मौसम में बदलाव देखकर, आम-नीम जामुन बौराया। सेमल ने पुष्पित हो करके, कानन में ऋतुराज सजाया।। महावृक्ष होता है सेमल, फूल रही जिसकी हर डाली। हरे-हरे फूलों के मुँह पर, छाई है बसन्त की लाली।। स्वागत करने को बसन्त का, कुदरत ने उपवन महकाया। सेमल ने पुष्पित हो करके, कानन में ऋतुराज सजाया।। सर्दी के कारण जब तन में, शीत-वात का रोग सताता। सेमलडोढे को खाने से, रोग बदन का है मिट जाता।। ऋतुओं के अनुकूल धरा पर, अद्भुत बिरुओं को उपजाया। सेमल ने पुष्पित हो करके, कानन में ऋतुराज सजाया।। सुमन लगे खुलकर मुस्काने, वासन्ती गुणगान हो रहा। पेड़ों पर फलियाँ-फल आये, बढ़ा हुआ का दिनमान हो रहा।। लगता है मधुमास सुहाना, नव-पल्लव ने हृदय लुभाया। सेमल ने पुष्पित हो करके, कानन में ऋतुराज सजाया।। गर्मी का आभास हुआ तो, चटक उठीं सेंमल की फलियाँ। रूई उड़ने लगी गगन में, हुईँ रेशमी वन की गलियाँ।। धूप गुनगुनी खिली गगन में, पंख परिन्दों ने खुजलाया। सेमल ने पुष्पित हो करके, कानन में ऋतुराज सजाया।। फूलो-फलो और मुस्काओ, सीख यही देता है सेंमल। तन से रहो सुडोल हमेशा, किन्तु बनाओ मन को कोमल।। फूल-शूल रहते हिल-मिलकर, प्रभु ने ऐसा जगत बनाया। सेमल ने पुष्पित हो करके, कानन में ऋतुराज सजाया।। |
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बुधवार, 25 जनवरी 2023
"फूल रही है डाली-डाली" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जवाब देंहटाएंऋतुराज के आगमन पर सुन्दर छंद ... बहुत लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावशाली अभिव्यक्ति, वाह वाह।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम आप सभी को बसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस की बधाई।
जवाब देंहटाएंबसंत ऋतु का सुंदर चित्रण।