-- चमन के फूल सहमें हैं, नजारा देख मौसम का हुए गमगीन भँवरे हैं, नजारा देख मौसम का -- फलक में हैं बहुत बादल, नदारत है मगर बारिश बड़ा हैरान है माली, नजारा देख मौसम का -- करो जैसा-भरो वैसा, यही कानून कुदरत का मियाँ हलकान क्यों होते, नजारा देख मौसम का -- जफा करके मिलेगा क्या, यहाँ अहसान का बदला नजर के सामने अपनी, नजारा देख मौसम का -- मिला जितना उसी का, शुक्रिया करना नहीं आया हकीकत तो हकीकत है, नजारा देख मौसम का -- सितारों से नहीं होती, कभी भी रात रौशन है अँधेरी रात में दिलवर, नजारा देख मौसम का -- अदब की अंजुमन में, आज होती ‘रूप’ की पूजा सुनाते हैं ग़ज़ल जाहिल, नजारा देख मौसम का -- |
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सोमवार, 31 जुलाई 2023
ग़ज़ल "शुक्रिया करना नहीं आया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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