-- निर्धनता के जो रहे, जीवनभर पर्याय। लमही में पैदा हुए, लेखक धनपत राय।। -- आम आदमी की व्यथा, लिखते थे जो नित्य। प्रेमचन्द ने रच दिया, सरल-तरल साहित्य।। -- जीवित छप्पन वर्ष तक, रहे जगत में मात्र। लेकिन उनके साथ सब, अमर हो गये पात्र।। -- फाकेमस्ती में जिया, जीवन को भरपूर। उपन्यास सम्राट थे, आडम्बर से दूर।। -- उपन्यास 'सेवासदन', 'गबन' और 'गोदान'। हिन्दी-उर्दू अदब पर, किया बहुत अहसान।। -- 'रूठीरानी' को लिखा, लिक्खा 'मिलमजदूर'। प्रेमचन्द मुंशी रहे, सदा मजे से दूर।। -- लेखन में जिसका नहीं, झुका कभी किरदार। उस लमही के लाल को, नमन हजारों बार।। -- |
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सोमवार, 31 जुलाई 2023
दोहे "लेखक धनपत राय-जयन्ती पर विशेष" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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उपन्यास-सम्राट को यथोचित श्रद्धांजलि है यह। लेखन में जिसका नहीं, झुका कभी किरदार। पूर्णतः सत्य।
जवाब देंहटाएंमहान लेखक को शत शत नमन !
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