-- आओ माता! सुवासित करो मेरा मन। शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।। -- घोर तम है भरा आज परिवेश में, सभ्यता सो गई आज तो देश में, हो रहा है सुरा से यहाँ आचमन। शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।। -- दो सुमेधा मुझे मैं तो अनजान हूँ, माँगता काव्य-छन्दों का वरदान हूँ, चाहता हूँ वतन में सदा हो अमन। शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।। -- वन्दना आपकी नित्य मैं कर रहा, शीश चरणों में, मैं आपके धर रहा, आपके दर्शनों के हैं प्यासे नयन। शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।। -- तान वीणा की माता सुना दीजिए, मेरे मन को सुमन अब बना दीजिए, हो हमेशा चहकता-महकता चमन। शारदे माँ! तुम्हें कर रहा हूँ नमन।। -- |
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बुधवार, 14 फ़रवरी 2024
सरस्वती-वन्दना "तान वीणा की माता सुना दीजिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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