‘हाय-मैया’ हे माँ ! मैं आपको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ। आपने कभी विचार किया है कि माता के प्रति हमारी इतनी अगाध श्रद्धा और भक्ति क्यों है? इसका पता इसी बात से लग जाता है कि देवी स्वरूपा माता के दर्शनों के लिए पूरे वर्ष माँ के मन्दिरों में भारी भीड़ लगी रहती है। माता को ही जगत्-जननी का अमर पद प्राप्त है। आदि-शक्ति के रूप में वह हमारे मन में सरस्वती, पार्वती के रूप में विराजमान है। माता को विश्व में प्रथम गुरु का सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। ‘‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’’ -गीत- ------ जो सन्तानों को दुनिया के, सारे मर्म सिखाती है। ममता जिसके भीतर होती, माता वही कहाती है।। -- वेदों और पुराणों ने, माँ की महिमा को गाया है, माता के ऋण से कोई भी, उऋण नहीं हो पाया है, माता ही वाणी को, उच्चारण का भेद बताती है। ममता जिसके भीतर होती, माता वही कहाती है।। -- माँ के उर में जीवन का, व्याकरण समाया है, माता ने हमको धरती पर, चलना सिखलाया है, हमको भोजन जिमा, बाद में बचा-खुचा जो खाती
है। ममता जिसके भीतर होती, माता वही कहाती है।। -- मुझे सुलाया सूखे में, सोई खुद गीले बिस्तर में, जगदम्बा जैसी होती है, माता तो सबके घर में, दुख आने पर सबको, माता याद बहुत आती है। ममता जिसके भीतर होती, माता वही कहाती है।। -- माँ से ही तो दुनिया में, सारे प्राणी आते हैं, रंग-रूप आकार सभी, माता के कारण पाते है, सन्तानों को सबसे ज्यादा, माँ की याद सताती है। ममता जिसके भीतर होती, माता वही कहाती है।। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
गीत "माँ की याद सताती है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।