-- त्यौहारों की धूम मची है, पर्व नया-नित आता है। परम्पराओं-मान्यताओं की, हमको याद दिलाता है।। -- उत्सव हैं उल्लास जगाते, सूने मन के उपवन में, खिल जाते हैं सुमन बसन्ती, उर के उजड़े मधुवन में, जीवन जीने की अभिलाषा, को फिर से पनपाता है। परम्पराओं-मान्यताओं की, हमको याद दिलाता है।। -- भावनाओं की फुलवारी में ममता नेह जगाती है रिश्तों-नातों की दुनिया, साकार-सजग हो जाती है, बहना के हाथों से भाई, रक्षासूत्र बँधाता है। परम्पराओं-मान्यताओं की, हमको याद दिलाता है।। -- क्रिसमस, ईद-दिवाली हो, या बोधगया बोधित्सव हो, महावीर स्वामी, गांधी के, जन्मदिवस का उत्सव हो, एक रहो और नेक रहो का शुभसन्देश सुनाता है। परम्पराओं-मान्यताओं की, हमको याद दिलाता है।। -- |
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बुधवार, 25 सितंबर 2024
गीत "पर्व नया-नित आता है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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