पहिन बसन्ती-पीली साड़ी,
फुली सरसों मनभावन है।
गीत और संगीत बसन्ती,
मौसम लोक लुभावन है।
वासन्ती परिधान ओढ़कर,
सूरज ने भी रंग दिखाया।
मुझको यह आभास होगया-
अब बसन्त का मौसम आया ।।
आम, नीम भी बौराए है,
तरुवर नव पल्लव पाये है।
पीपल,गूलर भी हर्षित हैं,
भँवरे गुल पर आकर्षित हैं।
सेमल में भी फूल खिले हैं,
जंगल में ढाका मुस्काया।
मुझको यह आभास होगया-
अब बसन्त का मौसम आया ।।
नील-गगन से छँटा कुहासा,
कोयल मीठे स्वर में गातीं,
हिमगिरि साफ दिखाई देते,
नदिया कल-कल नाद सुनातीं।
हीटर, गीजर बन्द हो गए ,
सरदी ने निज कोप घटाया।
मुझको यह आभास होगया-
अब बसन्त का मौसम आया ।।
अब बसन्त का मौसम आया ।।
जवाब देंहटाएंजी हाँ लगता तो है .अच्छी लगी यह रचना
वसंत के बहुत सुंदर चित्र खींचे गए हैं - इस गीत के माध्यम से!
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