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हाय! इन बादलों को देखकर तो हमारा दिल भी डोल गया………बडी मस्त रचना लिखी है।
जवाब देंहटाएंbahut hi acchhi kavita.vaarsh kaa sundar chitran.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब शास्त्री जी .........मजा आ गया !
जवाब देंहटाएंbahut khub..
जवाब देंहटाएंमतलब वहां बारिश हो रही है. हम तो इधर कड़ी धूप झेल रहे हैं अभी भी. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंआज सुबह दिल्ली में बादल छाये थे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता...चित्रों में ही बादलों को देख आनंदित हो रहे हैं....शायद दिल्ली दूर है बादलों के लिए अभी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...मेरे यहा भी आज बादल छाए हुए है...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी, प्रणाम. बहुत दिन हो गए. न कंप्यूटर पर बैठा, न किसी ब्लॉग पर गया और न ही कुछ गुफ्तगू कर पाया. इसका मुख्य कारण था घर में शादी का माहौल. क्या करता बहन की शादी जो है. फिर भी आज समय निकाल कर कुछ ब्लॉग के चक्कर काट रहा हूँ. अब ब्लॉग के चक्कर लगाऊ और आपके ब्लॉग पर न आऊ ऐसा नहीं हो सकता. लेकिन आज आपकी जो कविता पढ़ी तो दिल खुश हो गया. लेकिन विडम्बना यह है की भारत में इस समय कई जगह बरसात है. हर बार होती है लेकिन मेरे हिसार से पता नही ऊपर वाले को क्या नाराजगी है. बरसात आती ही नहीं. लेकिन आपकी कविता की कुछ लाइने दिल को सुकून पहुंचाती है.
जवाब देंहटाएंछम-छम बून्दें पड़ती जल की,
ध्वनि होती कल-कल,छल-छल की,
जग की प्यास बुझाने आये!
नभ में काले बादल छाये!
बहुत ही सुन्दर रचना. आभार
jalan ho rahi hai aap se guru ji...
जवाब देंहटाएंkitna achey mausam mein hain aap aur ek hum hain garmi mein tapp rahey hain!
सचित्र सुन्दर गीत। बधाई
जवाब देंहटाएंबढ़िया लगी चित्रकाव्य झलकी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...शास्त्री जी रचना अच्छी लगी..धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी ..... आजकल कुछ व्यस्तता ज़्यादा है.... फिर भि कोशिश पूरी रहती है..... आपके ब्लॉग को पढने की....आज की यह रचना बहुत अच्छी लगी....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंक्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलन के नए अवतार हमारीवाणी पर अपना ब्लॉग पंजीकृत किया?
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waah mayank ji !
जवाब देंहटाएंnihaal kar diya
bahut khoob rachana !
kash ki ye ehsaas sach ho jaye! :)
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